भैरव के बटुक रूप को प्रिय है मदिरा–मछली का भोग, टॉफी चॉकलेट से प्रसन्न होते है बाबा
भैरव के बटुक रूप को प्रिय है मदिरा–मछली का भोग, टॉफी चॉकलेट से प्रसन्न होते है बाबा
वाराणसी: भोले की नगरी काशी पौराणिक मंदिरों और रहस्यों से भरी है, हम बात कर रहे हैं गंगा किनारे बसे बनारस की जहां की तंग गलियों में सैकड़ों पौराणिक मंदिर मौजूद हैं जो अपने आप में ही अनोखे हैं और उनका एक अलग इतिहास है और इन्हीं इतिहासों में मौजूद है. एक अनोखा मंदिर जहां भगवान को प्रसाद में भगवान को फल या फूल नहीं बल्कि प्रसाद रूप में टॉफी चॉकलेट बिस्कुट का भोग लगता है. हम बात कर रहे हैं काशी के कमच्छा छेत्र में स्थित बाबा बटुक भैरव मंदिर की. यहां देश विदेश से लोग दर्शन करने आते हैं. यहां पर रविवार के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दरबार पर आते हैं. आप सोच रहे होंगे बाबा काल भैरव को तो जानते हैं लेकिन ये बटुक भैरव कौन हैं. आइए जानते हैं शिव के रूप बटुक भैरव का इतिहास.
एक ही छत के नीचे दो रूपों में विराजमान हैं बाबा
कहते हैं कि बनारस में बाबा काल भैरव के दर्शन के बिना बाबा विश्वनाथ के दर्शन पूर्ण नहीं होते लेकिन अगर बात 2 बाबा भैरव के दर्शन की हो तो ? काशी के कमच्छा छेत्र में एक मंदिर है जहां बाबा भैरव के 2 रूप विराजमान हैं पहला बटुक भैरव और दूसरा आदि भैरव. बाबा भैरव दोनों ही रूपों में बाल स्वरूप में माैजूद हैं. ऐसा माना जाता है कि बाबा के दर्शन से पुत्र प्राप्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती है साथ ही इनके दर्शन से गृह बढ़ाएं भी दूर होती हैं.
बाबा को टॉफी बिस्किट का प्रसाद चढ़ाते हैं भक्त
बटुक का अर्थ होता है बालक और इस मंदिर में बाबा की उम्र 5 वर्ष है. जिस तरह किसी बच्चे को प्यार दुलार से रखा जाता है उसी तरह श्रद्धालु बाबा की आराधना प्यार से करते हैं. भक्त बाबा की आराधना में टॉफी चॉकलेट बिस्कुट लेकर आते हैं और बाबा से अपनी मुरादें मांगते हैं.
मांस–मछली और मदिरा है मुख्य प्रसाद
काशी के इस बटुक भैरव के पूजा का विधि विधान ही अलग है. यहां बाबा को न कोई फल चढ़ाया जाता न भस्म बल्कि यहां टॉफी बिस्कुट का प्रसाद चढ़ता है. इसके अन्यत्र यहां रात की आरती में मुख्य प्रसाद के रूप में बाबा को मदिरा चढ़ाई जाती है. पुजारी मन्नू बाबा ने हमें बताया कि रात्रि में आरती के बाद पांच प्रकार का भोग लगाया जाता है जिसमें भक्त अंडा,मांस, मछली एवं मदिरा लेकर आते हैं जिससे प्रसन्न होकर बाबा सभी मुरादें पूर्ण करते हैं. साथ ही उन्होंने बताया हर महीने अष्टमी के दिन महायज्ञ होता है जिसमें बाबा को 5 प्रकार का भोग लगाया जाता है और ये यज्ञ रात्रि 9 बजे होता है.
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अष्टमी को होता है महायज्ञ
काशी में मान्यता है कि इस नगरी की देखभाल कोतवाल रूप में बाबा भैरव करते हैं. हर महीने की अष्टमी को बाबा की विशेष रूप में पूजा अर्चना की जाती है जिसमें रात्रि 9 बजे यहां महायज्ञ किया जाता है और इसमें मुख्य रूप में 5 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं जिसमें मदिरा, मांस, मछली, अंडा आदि होते हैं. साथ ही भक्त बाल रूप में बाबा को टाफी, बिस्किट खिलाते हैैं और खिलौनों से भी रिझाते हैं. भक्त जो कुछ भी श्रद्धा से चढ़ाते हैैं, बाबा उसे ग्रहण करते हैं.
क्या कहते हैं पर्यटक
काशी आए पर्यटक एक बार बाबा भैरव के दर्शन जरूर करते हैं. बातचीत के दौरान शिलांग से आई सुपर्णा श्याम ने हमें बताया कि उन्होंने इस मंदिर के बारे में सुना कि काशी में सिर्फ काल भैरव नहीं है बटुक भैरव भी हैं तो वे रुक नहीं पाई और दर्शन के लिए काशी आ गई. उन्हें इतिहास के बारे में पढ़ना बेहद पसंद है जब उन्होंने देखा की शिव के इतने रूप है और बटुक भैरव में एक अनोखी पूजा होती है यहां मदिरा चढ़ाई जाती है तब उन्हें इसके बारे में और जानने की इच्छा हुई और यहां कि मान्यता के अनुसार बाबा की तरह पूजन विधान देश में अन्यत्र कहीं नहीं सुना जाता इसलिए वे काशी आ गई.
Written By: Tanisha Srivastava