स्कूलों में योग को अनिवार्य करने से सर्वोच्च न्यायालय का इंकार

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सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि योग किसी पर थोपा नहीं जा सकता।
अदालत ने साफ किया कि योग निजी स्कूलो मे करवाया जाना चाहिये की नहीं इस पर अदालत कोई फैसला नही ले सकती , अदालत ने फैसला सरकार पर ही छोड़ दिया हैं आगे  अब यह फैसला सरकार ही तय करेगी ।

स्कूलो मे क्या होना चाहिये यह सरकार तय करे

न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत इस पर कोई फैसला नहीं कर सकती कि स्कूलों में क्या सिखाया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि इस मामले में सरकार ही फैसला ले सकती है।

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अदालत ने स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के छात्रों के लिए योग अनिवार्य करने का निर्देश देने की मांग संबंधी याचिकाएं खारिज करते हुए यह कहा। मौजूदा सरकार ने अदालत से कक्षा 1 से 8 तक योग को अनिवार्य करने की मांग की थी जो अदालत की तरफ से खारिज कर दी गयी अब यह सरकार को ही तय करना पड़ेगा

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दो याचिकाओं पर आया फैसला

 

अदालत का यह फैसला एक वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय और दिल्ली भाजपा प्रवक्ता और वकील जे.सी. सेठ की दो याचिकाओं पर आया है। जिसमे योग को स्कूलो में अनिवार्य करने की मांग की गयी थी Also read : गुजरात के फायदे के लिए इसे डुबाने पर उतारू है : मेधा

उपाध्याय ने अदालत से मानव संसाधन विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को ‘कक्षा एक से आठ तक के छात्रों को योग और स्वास्थ्य शिक्षा पर मानक पाठ्यपुस्तकें प्रदान करने’ का निर्देश देने की मांग की थी।

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