ईरान-इजराइल युद्ध के बीच सूडान की अनदेखी त्रासदी
सूडान संकट 2023: ईरान और इजराइल के बीच चल रहे युद्ध ने दुनिया भर की न्यूज़ एजेंसियों को इन देशों की ख़बरों से भर दिया है. लेकिन इसी बीच अफ्रीका का एक छोटा सा देश है, जो एक बड़े विस्थापन संकट (Massive World Displacement Crisis) से जूझ रहा है.
उत्तर अफ्रीका का सबसे बड़ा देश सूडान
1.9 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैला सूडान कभी अफ्रीका का सबसे बड़ा देश हुआ करता था. 2011 में दक्षिण सूडान से अलग होने के बाद, सूडान अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया. इस तीसरे सबसे बड़े देश में सत्ता होल्डिंग को लेकर संघर्ष छिड़ा हुआ है. यह लड़ाई सूडान आर्मी और पैरामिलिट्री ग्रुप के बीच हो रही है, जिसने सूडान के छोटे-छोटे शहरों को युद्ध का मैदान बना दिया है. इस लड़ाई के कारण पिछले एक साल में लगभग 10 मिलियन लोगों को अपने घरों से जबरन विस्थापित होना पड़ा है. इस जंग ने सूडान में भूखमरी जैसी स्थिति पैदा कर दी है. आइए, हम आपको सूडान की वर्तमान स्थिति से रूबरू कराते हैं.
जातीय और धार्मिक संरचना
अफ्रीका के तीसरे सबसे बड़े देश सूडान में मुस्लिम जनसंख्या प्रमुख है. सूडान की 91 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है, वहीं 5.4 प्रतिशत लोग ईसाई धर्म को मानते हैं, और शेष 2.8 प्रतिशत अन्य धर्मों या जातियों से आते हैं.
सूडान में सत्ता संघर्ष: दो सैन्य जनरल्स के बीच लड़ाई
सूडान की राजधानी खार्तूम में सूडान आर्मी और पैरामिलिट्री फोर्स के बीच सत्ता संघर्ष को लेकर लड़ाई शुरू हुई थी. वहां की पैरामिलिट्री फोर्स को ‘रैपिड सपोर्ट फोर्स’ (RSF) कहा जाता है. यह लड़ाई केवल दो गुटों की नहीं, बल्कि दो अफसरों की सत्ता और अधिकार की लड़ाई है, जिसने पूरे देश को जला दिया है. 2021 से सूडान को दो आर्मी जनरल्स चला रहे हैं, और यह लड़ाई उन्हीं दोनों के बीच सत्ता संघर्ष को लेकर शुरू हुई थी.
जनरल अबदेल फतह-अल बुरहान बनाम जनरल डगलो
जनरल अबदेल फतह-अल बुरहान सूडान के आर्मी चीफ और राष्ट्रपति हैं, जबकि दूसरी ओर RSF के लीडर जनरल मोहम्मद हमदन डगलो हैं. जनरल डगलो का कहना है कि सूडान की आर्मी में 100,000 RSF जवानों को शामिल कर एक नया ग्रुप बनाया जाए और सूडान में सिविलियन शासन लागू हो. डगलो का दावा है कि “हम देश में फिर से सिविलियन शासन लाना चाहते हैं, लेकिन जनरल बुरहान ऐसा नहीं होने देना चाहते.”
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हालांकि, सूडान की जनता को जनरल डगलो पर विश्वास करना कठिन लगता है, क्योंकि उनकी पैरामिलिट्री फोर्स का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है. दूसरी ओर, जनरल बुरहान भी सिविलियन शासन लाने के पक्ष में हैं, लेकिन वे इसे एक चुनी हुई सरकार को ही सौंपना चाहते हैं. जनता के लिए यह स्पष्ट है कि यह दोनों आलाकमानों के बीच सत्ता संघर्ष का मामला है.
सूडान संकट 2023 हिंसा की शुरुआत: कब और कैसे?
15 अप्रैल 2023 को रैपिड सपोर्ट फोर्स के जवानों को देश भर में अलग-अलग स्थानों पर तैनात किया जाने लगा, जिसे आर्मी ने एक संभावित खतरे के रूप में देखा. 15 अप्रैल को सूडान की राजधानी खार्तूम में गोलियां चलने लगीं. हालांकि, यह अब भी विवाद का विषय है कि गोलीबारी किसने शुरू की. WHO के रिकॉर्ड के अनुसार, इस हिंसा में 400 से अधिक नागरिक मारे जा चुके थे.
सिविलियन आबादी पर संकट का कहर
सूडान में हो रही हिंसा का सबसे बड़ा शिकार आम जनता बनी है. 50 मिलियन की आबादी वाले इस देश में प्रति व्यक्ति वार्षिक औसत आय 2100 डॉलर है. 2019 में सूडान की 38 प्रतिशत आबादी बेहद गरीब थी, और उनका मुख्य रोजगार खेती है. इस युद्ध ने सूडान के कृषि-आधारित लोगों की आजीविका को भी प्रभावित किया है.
विस्थापन और भूखमरी का संकट
हिंसा के कारण 31 दिसंबर 2023 तक 6.1 मिलियन लोग देश के भीतर ही अलग-अलग स्थानों पर विस्थापित हो गए. वहीं, 1.5 मिलियन लोग सूडान छोड़कर अन्य देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हो चुके हैं. डारफुर और अन्य क्षेत्रों से लोग दूसरे देशों में जाने के लिए बेताब हैं, क्योंकि वहां की मिलिट्री और पैरामिलिट्री फोर्स के हिंसक माहौल ने लोगों का जीवन कठिन बना दिया है.
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी और मानवीय संकट
सूडान संकट 2023: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में यौन हिंसा, अपहरण, और जातीय नरसंहार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. सूडान में चल रहे इस बड़े मानवीय संकट पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं. विडंबना यह है कि देश को बचाने वाले ही आज सूडान के सबसे बड़े दुश्मन बन चुके हैं.
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