आसान नहीं थी इस ‘इन्वर्टर मैन’ की कहानी, खुद के दम पर खड़ी कर दी अरबों की कंपनी
जुनून जज्बा और हिम्मत ये ऐसे शब्द है जिनके दम पर आप पूरी दुनिया में एक अहम मुकाम हासिल कर सकते हैं। जिसने भी इन शब्दों को सिर्फ शब्द न समझकर इनके मतलब को समझा है आज वो बुलंदियों पर चमकता सितारा बन गया है। जिसे दुनिया सलाम करती है। अगर आप के अंदर कुछ करने का जुनून है और इरादे नेक है तो सफलता को आपके कदमों में झुकना ही पड़ेगा। क्योंकि जिसने भी ईमानदारी और जुनून के साथ मेहनत की है उसे सफल होने से कोई भी नहीं रोक पाया है।
कुछ ऐसी ही जुनून और मेहनत की कहानी बयां कर रही है इन्वर्टर मैन कुंवर सचदेवा की जिंदगी। कुंवर सचदेवा भारत की लीडिंग पॉवर सोल्यूशन कंपनी सु-काम के संस्थापक और एम् डी है। सचदेव के सु-काम के सफलता की कहानी “मेक इन इंडिया” का सबसे अच्छा और सबसे बड़ा उदाहरण है।सचदेव का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था, लेकिन सचदेवा ने कभी भी अपनी आर्थिक परिस्थितियों को अपनी सफलता के बीच में नही आने दिया। और सिर्फ 15 वर्ष की उम्र में ही वे एक सफल बिजनेसमैन बनने की राह पर निकल पड़े।
अपने व्यवसाय की शुरुवात उन्होंने अपने बड़े भाई के साथ मिलकर साइकिल पर पेन बेचते हुए की थी और बाद में उन्होंने एक सफल केबल टीवी कम्युनिकेशन व्यवसाय की स्थापना दिल्ली में की थी। एक खोजकर्ता के रूप में उन्होंने जल्द ही भारत के पॉवर बैकअप इंडस्ट्री के विकास और उनकी जरूरतों को भांप लिया था और 1998 में ही उन्होंने सु-काम पॉवर सिस्टम की स्थापना करने के लिए केबल टीवी के व्यवसाय को बंद करने की ठान ली।
कुछ ही सालो में कड़ी मशक्कत और महेनत करते हुए उन्होंने आज सु-काम को भारत की मुख्य कंपनियों में से एक बनाया। आज सु-काम इंडियन मल्टीनेशनल कारपोरेशन है और इसे भारत की सबसे विकसित और तेज़ी से बढ़ने वाली इंडस्ट्री में से एक माना जाता है। यह कंपनी तेज़ी से विकसित होने वाली टॉप 500 कंपनियों की सूची में भी शामिल है।
सचदेवा ने भी तक़रीबन 90 देशो तक अपनी कंपनी को पहुचाया है और इसका लक्ष्य अफ्रीका और एशिया के ज्यादातर भागो को कवर करना ही है। दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैथमेटिकल स्टेटिस्टिक्स और लॉ की डिग्री हासिल करने के साथ ही और साथ ही बिना किसी टेक्निकल बैकग्राउंड के होने के बावजूद उन्होंने पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स में महारत हासिल कर रखी थी।
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विविध व्यवसायों को सँभालते हुए भी वे सु-काम (Su-Kam) के आर & डी डिवीज़न के हेड बने। इंडियन पॉवर बैकअप इंडस्ट्री में टेक्नोलॉजी और डिजाईन के लिए पेटेंट फाइल करने वाले सचदेव पहले भारतीय उद्योगपति थे। विश्व के पहले प्लास्टिक बॉडी इन्वर्टर के अविष्कार का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है कुंवर अपनी उपलब्धियों से कभी संतुष्ट नही थे और उनमे हमेशा कुछ नयी टेक्नोलॉजी का अविष्कार करने की भूख लगी रहती।
कुंवर को कई बार लगता था की, “यदि वर्तमान में सभी इलेक्ट्रॉनिक टच स्क्रीन और वाय-फाई से जुड़े है तो होम यूपीएस क्यु नही?” इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यूपीएस की टेक्नोलॉजी में बदलाव किये। और आज कुंवर अपना पहला टच स्क्रीन यूपीएस लांच करने के लिए तैयार है जिसमे वाय-फाई की सुविधा भी दी गयी है। एक दिन ऐसा भी होगा शायद ही किसी ने सोचा होगा।