अब कैराना और बाकी उपचुनाव भी साथ लड़ेंगे ‘बुआ भतीजा’

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गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त देने के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजपार्टी एक बार फिर अपने इस राजनीतिक साझेदारी का प्रयोग कर सकते हैं। अगले 5 महीनों के भीतर कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होने हैं और ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों पार्टियां इनमें साथ रहकर बीजेपी से मुकाबला करेंगी।

बीएसपी कभी भी उपचुनावों में अपने उम्मीदवार खड़े नहीं करती है

ये दोनों ही सीट बीजेपी सांसद हुकुम सिंह और एमएलए लोकेंद्र सिंह की मृत्यु के बाद से खाली हैं।दोनों पार्टियों के सूत्रों के मुताबिक, इन उपचुनावों से एसपी-बीएसपी के बीच साझेदारी को बेहतर समझने का मौका मिलेगा और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए गठबंधन का मार्ग प्रशस्त होगा। बता दें कि बीएसपी कभी भी उपचुनावों में अपने उम्मीदवार खड़े नहीं करती है।

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गोरखपुर और फूलपुर के बाद ऐसी पूरी संभावना है कि कैराना में भी मायावती अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं करेंगी। हालांकि कैराना से जीतने वाले को कुछ महीने ही सांसद बने रहने का मौका मिलेगा जबकि नूरपुर के विधायक को 3 साल तक विधायक के रूप में काम करने का मौका मिलेगा।यूपी के राजनीतिक सर्किल में यह भी चर्चा है कि अगर समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों के सहयोग से बीएसपी कैंडिडेट राज्यसभा के लिए चुन लिए जाते हैं तो मायावती समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को कैराना उपचुनाव में सपॉर्ट करेंगी।

बीएसपी के सूत्रों ने भी माना है कि कैराना और नूरपुर में समाजवादी पार्टी को सपॉर्ट करने से पहले मायावती राज्यसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों का समर्थन चाहती हैं। बता दें कि जाट बाहुल्य इलाके की कैराना सीट पर 2009 से पहले अजीत सिंह की पार्टी का कब्जा था। बाद में 2009 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी की तबस्सुम बेगम ने हुकुम सिंह को 20,000 वोटों से पाराजित किया था। बाद में हुकुम सिंह बीजेपी में शामिल हो गए और 2014 के चुनाव में उन्होंने 2.5 लाख के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी।

हम इन सीटों पर जीतने के लिए चुनाव लड़ेंगे

समाजवादी पार्टी भी इन दोनों उपचुनावों में बीएसपी का सपॉर्ट चाहती है। अखिलेश यादव के नजदीकी उदयवीर सिंह ने कहा, ‘पार्टी लीडरशिप ने अभी तक कैराना और नूरपुर सीट पर कोई फैसला नहीं किया है लेकिन यह निश्चित है कि हम इन सीटों पर जीतने के लिए चुनाव लड़ेंगे।’ गौरतलब है कि नूरपुर विधानसभा सीट के लिए एसपी और बीएसपी ने अपने कैंडिडेट खड़े किए थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। हाल में, नूरपुर के बीजेपी विधायक लोकेंद्र सिंह की मौत एक कार दुर्घटना में हो गई थी। राजनीतिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि एसपी और बीएसपी इन दोनों सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों में एक बार फिर साथ आ सकते हैं।

NBT

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