यूपी में घोटाले से दम तोड़ रही स्मार्ट सिटी योजना….

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Smart city plan : राजनीति में लम्बे उपवास के बाद साल 2014 में पूर्णबहुमत के साथ पीएम पद के लिए जनता ने भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को अपना पीएम चुना था । इस दौरान जनता ने इस नए पीएम से हजार अपेक्षाएं लगा रखी थी । जनता पीएम मोदी से कई क्षेत्रों में विकास और उन्नति की उम्मीद लगाए हुई थी, इसी उम्मीद पर खरा उतरने के लिए केन्द्र सरकार ने 25 जून साल 2015 को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लांच किया था। इस योजना की शुरूआत ने मानो जनता की उम्मीदों को पंख ही दे दिए थे, अब जरूरत बस उड़ान भरने भर भी की थी ।

इस मिशन का उद्देश्य भारत के 100 शहरों को स्मार्ट शहर में बदलना था । आज इस योजना को तकरीबन 9 साल पूरे हो चुके है। ऐसे जरूरी है कि, हम जाने आखिर ये मिशन कहां तक पहुंचा है ? किन शहरों तक विकास की ये लहर पहुंची है , किन में विकास हो गया । हालांकि, इस मिशन को लेकर केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्रालय द्वारा दस्तावेजों में दर्ज आंकड़ो के हिसाब से इस साल तक 22 शहरो में स्मार्ट सिटी का काम पूरा हो गया है। बाकी के बचे 78 शहरों में भी आगामी 3 से 4 माह में ये काम पूरा कर लिया जाएगा ।

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आखिर क्या है स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट ?

आपको बता दें कि, स्मार्ट सिटी योजना केन्द्र सरकार द्वारा शहरों को आधुनिकता से जोड़ने के लिए लाया गया एक प्रोजेक्ट है । इस मिशन की मदद से शहरों में सूचना एवं डिजिटल टेक्नालॉजी, सार्वजनिक निजी भागीदारी के जरिए शहरों को बेहतर बनाना था, इसके साथ इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य विशेष तौर पर शहरों के टिकाऊ और समावेशी विकास तय किया था । स्मार्ट सिटी मिशन ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए हैं जिसे स्मार्ट सिटी के भीतर और बाहर दोहराया जा सके । इसके अलावा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट आम लोगों जरूरतों और जीवन में सुधार करने के लिए सबसे बड़े अवसर की तरफ ध्यान केंद्रित करने वाला रहा है । इस मिशन की पूरी जिम्मेदारी केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को सौपा गया था, इस मिशन की सफलता के लिए सरकार ने 7,20, 0000 करोड़ रुपये की फंडिंग दी थी ।

स्मार्ट मिशन तहत आमजन तक पहुंचाई जाएंगी ये सुविधाएं

-पर्याप्त पानी की आपूर्ति
-निश्चित विद्युत आपूर्ति
-ठोस वेस्ट मैनेजमेंट सहित स्वच्छता
– कुशल शहरी गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन
-किफायती आवास, विशेष रूप से गरीबों के लिए
-सुदृढ़ आईटी कनेक्टिविटी और डिजटिलीकरण
-सुशासन, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस और नागरिक भागेदारी
-टिकाऊ पर्यावरण
-नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की सुरक्षा
-स्वास्थ्य और शिक्षा

स्मार्ट सिटी योजना के क्या मापदंड

24 घंटे बिजली-पानी की सुविधा, गड्ढामुक्त सड़कें और फुटपाथ की व्यवस्था, हाइटेक ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम, साफ-सुथरा पर्यावरण और हरियाली, बेहतर सूचना कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण, गरीबों के लिए किफायती आवास, योजनाबद्ध विकास, पूरे शहर में वाईफाई सिग्नल, शहर में एक स्मार्ट पुलिस थाना, नागरिकों की सुरक्षा की व्यवस्थाएं, स्वच्छता और कूड़ा निस्तारण के इंतजाम, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं हैं।

उत्तर प्रदेश में कैसा रहा स्मार्ट सिटी मिशन

गौरतलब है कि, यूपी ने स्मार्ट सिटी मिशन में अव्वल दर्जा हासिल किया है । जहाँ तक सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले शहरों की बात है, आगरा और वाराणसी ऐसे दो शहरों के रूप में उभरे हैं । जिन्होंने सबसे अधिक संख्या में परियोजनाएँ पूरी की हैं और साथ ही वे 10 स्मार्ट शहरों में सबसे स्वच्छ भी हैं। उल्लेखनीय है कि यूपी स्मार्ट सिटी मिशन 10 चयनित शहरों में जल आपूर्ति, सीवरेज प्रणाली, अपशिष्ट प्रबंधन, सार्वजनिक परिवहन, पार्किंग सुविधाओं और अधिक को मजबूत करने पर केंद्रित है। इन शहरों में लखनऊ, आगरा, बरेली, प्रयागराज, झाँसी, कानपुर, अलीगढ, सहारनपुर, मोरादाबाद और वाराणसी शामिल हैं।

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इसके साथ स्मार्ट सिटी योजना में अव्वल दर्जा हासिल करने वाले राज्य से योजना को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है । दरअसल , प्रोजेक्ट पर खर्च हो रहे पैसों की सीएजी रिपोर्ट के अनुसार सात स्मार्ट सिटी में योजना की धनराशि में घोटाले की आशंका जताई गयी है । स्मार्ट सिटी के लिए चुने गए शहरों में आगरा को छोड़कर किसी न बहीखाता और सालाना रिपोर्ट नहीं दी है ।

इस अनुसार, सीएजी ने इनमें से सात में घोटाले की आशंका जताई है । सालाना रिपोर्ट न देने के मामले में पहले कानपुर, दूसरे स्थान पर लखनऊ और तीसरे स्थान पर झांसी और अलीगढ़ को रखा गया है । सालाना रिपोर्ट न आने की वजह से इन शहरों के स्मार्ट सिटी योजना से फायदे या नुकसान का आंकलन नहीं किया जा सकता है । इस वजह से उसकी जांच भी नहीं संभव हो पा रही है कि, निवेश और खर्च सही ढंग से हुए है की नहीं ।

 

 

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