4 साल बाद अमित शाह का वादा पूरा, आज पेश हुआ IPC, CRPC संशोधित बिल

0

लोकसभा में शुक्रवार को केंद्र सरकार ने IPC, CRPC और एविडेंस एक्ट में संशोधन के लिए बिल पेश कर दिया है। बिल पेश करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि चार साल तक इस विषय पर गहन विचार-विमर्श करने के बाद आज आखिर यह बिल संसद में पेश हो गया।

इस बिल के लिए हुई थीं 151 बैठकें

साल 2019 में अमित शाह ने आईपीसी और सीआरपीसी में बदलाव करने का वादा किया था। जिसे साल 2023  में लोकसभा में तीन कानून को संशोधित करने वाले बिल को पेशकर अमित शाह ने वादा पूरा कर दिया है।

अमित शाह ने कहा, “चार साल तक इसपर गहन विचार-विमर्श हुआ है। हमने इसपर 151 बैठकें की हैं।”

अमित शाह बोले- अंग्रेजों का कानून खत्म…

लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय सुरक्षा संहिता बिल (CrPC) पर बताया कि अंग्रेजों के बनाए तीन कानूनों में संसोधन किया गया है। आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 स्थापित होगा। आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1898 की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता स्थापित होगा और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 के स्थान पर अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम स्थापित होगा।

आज लोकसभा में पेश हुए बिल में तीन कानून में हुआ संशोधन :

  1. IPC- भारतीय न्याय संहिता (Bhartiya Nyay Sanhita)
  2. CrPC – भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bhartiya Nagrik Suraksha Sanhita)
  3. Evidence Act – भारतीय साक्ष्य  (The Bhartiya Sakshya)

नए बिल से राजद्रोह का कानून होगा समाप्त 

संशोधित बिल को पेश करने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल से राजद्रोह का कानून पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। अमित शाह ने कहा कि इस बिल के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि कन्विक्शन रेश्यो को 90% से ऊपर ले जाना है। इसीलिए हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लेकर आए हैं कि जिन धाराओं में 7 साल या उससे अधिक जेल की सजा का प्रावधान है। उन सभी मामलों में फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा। हमने एक बहुत ऐतिहासिक फैसला किया है, वो है अनुपस्थिति में ट्रायल। कईं केसों में दाऊद इब्राहिम वांटेड है, वो देश छोड़कर भाग गया, लेकिन उसपर ट्रायल नहीं चल सकता। आज हमने तय किया है कि सेशन कोर्ट के जज उचित प्रक्रिया के बाद जिसको भगोड़ा घोषित करेंगे, उसकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगी और उसको सजा भी सुनाई जाएगी। इस कानून के तहत, हम राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त कर रहे हैं।

मॉब लिंचिंग के लिए मौत की सजा

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जीरो एफआईआर को भारतीय सुरक्षा संहिता विधेयक के तहत संहिताबद्ध किया जा रहा है। नए विधेयक के अनुसार, तलाशी और जब्ती के लिए वीडियोग्राफी अनिवार्य की जाएगी। साथ ही 7 साल या उससे अधिक की सजा वाले सभी अपराधों के लिए फोरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य होंगे। भारतीय सुरक्षा संहिता विधेयक में कुल 313 संशोधन हैं जिनमें मॉब लिंचिंग के लिए मौत की सजा तक की सजा हो सकती है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध को (प्रचलित कानूनों में) 302वां स्थान दिया गया है, इसके बावजूद ​की कोई अन्य अपराध इससे अधिक जघन्य नहीं हो सकता। हम इस दृष्टिकोण को बदल रहे हैं, और प्रस्तावित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में पहला अध्याय अब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित सजा के प्रावधानों पर होगा। इसमें मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर अब कड़ी सजा का प्रावधान रखा जाएगा। मॉब लिंचिग में दोषी पाए गए अपराधी को मौत तक की सजा दी जा सकती है।

Also Read:  BSTC vs B.Ed : सुप्रीम कोर्ट में BTC ने B.Ed को हराया, राजस्थान फैसले को माना सही

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More