पुराने कार्ड, कलैंडर से ‘रीमिक्स’ बचा रहे है पर्यावरण

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रीमिक्स के नाम से प्रसिद्ध कपिल यादव का प्रयास पर्यावरण संरक्षण में मददगार साबित हो रहा है। वह नदी के किनारे पड़े शादी के पुराने कार्ड, कैलेंडर, सीडी और कैसेट्स को नए कलेवर में ढालकर दोबारा प्रयोग के लायक बनाते हैं।

आस्था के साथ पर्यावरण संरक्षण

कहते हैं युवा देश के विकास में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन पर सामाजिक सरोकारों को बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है। बस सही दिशा देने की जरूरत है। आधुनिकता और विकास की चकाचौंध से दूर ऐसे ही एक युवा ने नदी के किनारे पड़े शादी के कार्ड, आस्था के कैलेंडर, सीडी और कैसेट्स से पर्यावरण को बचाने का न केवल संकल्प लिया, बल्कि उन्हें नए कलेवर में ढालकर दोबारा प्रयोग के लायक बनाया। यह प्रयास है पार्क रोड पर रहने वाले कपिल यादव का।

रीमिक्स पुराने कार्ड को देते है नया रूप

देवरिया के एक गरीब परिवार में पैदा हुए कपिल राजधानी में नारी शिक्षा निकेतन में शिक्षिका रही मधु भाटिया के यहां रहते हैं। उन्होंने काम के साथ इंटर तक की पढ़ाई की। पुराने सामानों को नया करने का बचपन का शौक बड़े होते ही जुनून में बदल लिया। उनके पास शुभता के प्रतीक श्री गणोश के एक हजार स्वरूपों से बने गिफ्ट कार्ड मौजूद हैं। पुराने कार्डो में गांधी के स्वरूप से लेकर पक्षियों की आकृति से बने गजानन के लिफाफे मौजूद हैं। तो लोग दे जाते हैं पुराने कार्ड कपिल रीमिक्स के नाम से मशहूर हुए। इनको अब लोग शादी, दीपावली और नए साल के कार्ड दे जाते हैं। इनको दोबारा इस्तेमाल करके कपिल आकर्षक कार्ड बना देते हैं।

कई संस्थानों ने किया है सम्मानित

एनएसएस के शिविरों और स्कूलों में पहुंचकर विद्यार्थियों को पुराने सामान से नए सामान बनाने का प्रशिक्षण भी देते हैं। पुराने सामानों से बनाए गए नए सामानों की प्रदर्शनी लगाकर वह अपनी कला के बारे में न केवल बताते हैं बल्कि इसकी निश्शुल्क ट्रेनिंग भी देते हैं। इस काम के लिए कई संस्थाओं की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है। उनका कहना है कि आमंत्रण कार्ड के इस्तेमाल के बाद उन्हें जल में प्रवाहित करने से रंग के रसायन पानी में घुल जाते हैं। इससे पानी में प्रदूषण के साथ ही जलीय जीव जंतुओं पर इसका असर पड़ता है। इस काम से जहां आस्था बनी रहती है वहीं पर्यावरण का संरक्षण भी हो जाता है।

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