दशहरे वाले दिन इन जगहों पर होती है रावण की पूजा, वजह जान रह जायेंगे दंग

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दशहरे वाले दिन जहा रावण को दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का जहा जश्न मनाया जाता है वही इन जगहों पर की जाती है रावण की पूजा.

दशहरा एक ऐसा दिन जब लोग रावण दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न विजयदशमी के रूप में मानते हैं लेकिन रुकिए क्या आप जानते दशहरे के दिन ही देश में कुछ ऐसी जगह है जहां दशहरे के दिन लोग रावण को नहीं जलाते बल्कि उसकी पूजा करते है तो चलिए आज हम आपको ऐसे ही कुछ जगहों के बारे में बताने जा रहे है जहा दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है

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1. हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा जहा रावण का दहन नहीं किया जाता है बल्कि वहां के लोगो का मानना है कि रावण ने भगवान शंकर को बैजनाथ कांगड़ा में ही अपनी कठिन तपस्या से प्रसन्न किया था यही कारण है कि तब से लेकर अब तक लोगो ने रावण को शिव भगवान् का पराम् भक्त मानकर आज तक उसकी पूजा करते आरहे हैं

2. जोधपुर के मौदगिल में रावण को ब्राह्मण समाज का वंशज माना जाता है। इसी वजह से वहां के लोग रावण का दहन करने की बजाय उसकी पूजा कर उसकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान भी करते हैं।

3. महाराष्ट्र के एक गांव गढ़चिरौली में भी लोग रावणका दहन करने की जगह उसकी पूजा करते है। कहा जाता है कि रावण देवताओं का पुत्र था और उसने अपने जीवन में कोई भी गलत काम नहीं किया।

4. महाकाल की नगरी उज्जैन के चिकली गांव जहा रावण के पुतले को जलने की वजह उससे पूजा जाता है क्यूंकि वह के लोगो का यह मानना है कि रावण की पूजा नहीं की गई तो पुरे गांव का सर्वनाश हो जाइएगा, जिस वजह से वहां के लोग हर साल दशरे के दिन रावण की बड़ी सी मूर्ति रखकर उसकी पूजा करते है

5.उत्तर प्रदेश के बिसरख में रावण का दहन नहीं किया जाता बल्कि वहां रावण और रावण के पिता ऋषि विश्वा की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रावण का जन्म उत्तर प्रदेश के बिसरख में हुआ था। उस जगह का नाम ऋषि विश्वा के नाम पर ही इसी विश्वा के नाम पर बिसरख पड़ा।

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