लालू : CBI छापा मोदी, शाह की राजनीतिक बदले की साजिश

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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता लालू प्रसाद ने शुक्रवार को कहा कि उनके परिवार के आवास पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के छापेमारी भाजपा की राजनीतिक साजिश(conspiracy) है। लालू ने कहा कि जांच एजेंसी के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। लालू प्रसाद ने कहा, “यह मेरे व मेरे परिवार के खिलाफ साजिश है। मोदी तानशाही की तरफ बढ़ रहे हैं। मैं डरने वाला नहीं हूं..मैं अपनी पूरी जिंदगी सीबीआई से निपटता रहा हूं।”

रेल मंत्री रहने के दौरान भारतीय रेलवे खानपान व पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के जरिए सुजाता होटल का पक्ष लेने के आरोपों से इनकार करते हुए लालू प्रसाद ने कहा कि सभी आवंटन प्रक्रिया निष्पक्ष तरीके से बोली लगाकर की गई थी।

लालू ने दावा किया कि उन्होंने आईआरसीटीसी की हालत को सुधारा था, जिसे पूर्ववर्ती भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने गठित किया था व स्वायत्त बनाया था।

राजद नेता ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार से सीबीआई अधिकारियों के साथ सहयोग करने को कहा है।

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लालू प्रसाद ने प्रेस से कहा, “यह नरेंद्र मोदी, अमित शाह व आरएसएस की हमारे खिलाफ राजनीतिक साजिश है क्योंकि हमने उनके खिलाफ एक राजनीतिक आंदोलन शुरू किया है और वे जल्द ही विदाई देखेंगे..27 अगस्त को हम बिहार में लोगों को बताने के लिए रैली कर रहे हैं कि कैसे मुझ पर व मेरे परिवार पर राजनीतिक बदले से हमला किया जा रहा है।”

लालू प्रसाद चारा घोटाला मामले में सीबीआई की अदालत में सुनवाई के लिए रांची में थे। लालू ने कहा कि वह सीबीआई से बीते 20 सालों से निपट रहे है और उन्हें कोई डर नहीं है।

लालू ने कहा, “जब मुझे बताया गया कि सीबीआई के 25 अधिकारी मेरे घर पहुंचे हैं तो मैंने अपने परिवार के लोगों से उनसे सहयोग करने को कहा और कहा कि अधिकारी नरेंद्र मोदी के आदेश का पालन कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “मैंने यहां तक कि अपने लोगों से अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा और अपने आदमियों से उन्हें सुरक्षा प्रदान करने को कहा अन्यक्षा कुछ तत्व उन पर हमला कर सकते हैं और इसके लिए मैं आरोपी बनूंगा।”

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उन्होंने कहा, “यह छापेमारी इतनी गुप्त रही कि दिल्ली की मीडिया को भी इसके बारे में खबर नहीं लगी।”

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “एक आईआरसीटीसी के अधिकारी को मेरे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए बुलाया गया था।”

लालू प्रसाद ने कहा, “तथाकथित आईआरसीटीसी का गठन 1992 में हुआ था। उस समय मैं रेल मंत्री या कैबिनेट मंत्री नहीं था। साल 2002 में आईआरसीटीसी ने कार्य करना शुरू किया और 2003 में दिल्ली, हावड़ा, रांची व पुरी के होटलों को आईआरसीटीसी को सौंपा गया। मई 2004 में मैं मंत्री बना, लेकिन हरचीज पहले ही उन्हें सौंप दी गई थी। उस समय राजग की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे।”

लालू ने कहा, “उस समय कई होटलों की दशा खराब थी, इसलिए आईआरसीटीसी ने 2006 में उनके विकास के लिए खुली निविदा दी। आयकर सहित लाइसेंस फीस व हरचीज 15 साल के पट्टे पर एक समझौते के तहत तय थी।”

उन्होंने कहा कि सभी सौदे खुली निविदा प्रक्रिया के जरिए किए गए और उनके खिलाफ कोई भी आरोप ऐसा नहीं है, जिसे साबित किया जा सके।

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लालू ने कहा कि छापेमारी उनकी बेइज्जती व उन्हें जेल भेजने के लिए की गई है।

लालू ने कहा, “जिस आधार पर छापेमारी की गई है, वह कागजात हमें दिखाइए। मैं पूरी तरह से बेगुनाह हूं। मेरे समय में रेलवे को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा मिली।”

सीबीआई ने शुक्रवार को एक भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया और राजद नेता लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी व बिहार के उप मुख्यमंत्री व लालू के बेटे तेजस्वी यादव के आवासों पर छापेमारी की। लालू व उनके परिजनों पर यह छापेमारी कथित तौर पर रेल मंत्री रहने के दौरान रेलवे के दो होटलों को एक निजी कंपनी को पट्टे पर देने में की गई अनियमितता को लेकर की गई।

केंद्रीय जांच ब्यूरो के कई अधिकारियों ने लालू प्रसाद व उनके परिवार के सदस्यों के दिल्ली, गुरुग्राम, पटना, रांची, भुवनेश्वर के कम से कम दर्जन भर ठिकानों पर छापेमारी की।

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