जानिये, वाराणसी के वैज्ञानिक ने पीपीई किट के दोबारा उपयोग पर क्या किया दावा?

आईआईटी-वाराणसी के विशेषज्ञों ने तीन इलेक्ट्रोड चिकित्सा ऑटोक्लेव सिस्टम तैयार किया

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वाराणसी : कोरोनावायरस से लड़ने के लिए बेहद जरूरी पीपीई किट PPE Kit की कमी दूर करने के लिए बीएचयू स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) का एक प्रयोग बड़ा वरदान साबित हो सकता है। यहां के एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसी विधि ईजाद की है, जिससे PPE Kit को स्टारलाइज करके उसे दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है।

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अभी सिर्फ एक बार उपयोग के बाद नष्ट करना पड़ता है

अभी तक PPE Kit को सिर्फ एक बार उपयोग में लाने के बाद उसे नष्ट करना पड़ता है। लेकिन आईआईटी-वाराणसी के वैज्ञानिक ईजाद स्टरलाइज विधि से PPE Kit को काफी समय तक के लिए बचाने में काफी मदद मिलेगी। अभी तक इस विधि का उपयोग ऑपरेशन थियेटर में उपयोग किए जाए वाले उपकरणों को विसंक्रमित करने के लिए किया जाता है। अब इस विधि का उपयोग PPE Kit के लिए किया जा सकता है।

तीन इलेक्ट्रोड चिकित्सा ऑटोक्लेव सिस्टम

आईआईटी-वाराणसी के विशेषज्ञों ने तीन इलेक्ट्रोड चिकित्सा ऑटोक्लेव सिस्टम तैयार किया है। इससे डॉक्टरों के उपकरण से लेकर सब्जियों तक को महज 15 मिनट में स्टारलाइज करके उन्हें विसंक्रमित किया जा सकेगा।

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आईआईटी (बीएचय) बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्राफेसर डॉ़ मार्शल धायल ने इसे टीम के सदस्य जूही जायसवाल और आशीष कुमार के साथ मिलकर तैयार किया है।

विषाणु को महज 15 मिनट में मार सकेगा

प्रोफेसर डॉ़ मार्शल ने बताया कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए मेडिकल स्टाफ की व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण PPE Kit कमी से निजात दिलाने के लिए उनको विसंक्रमण करके दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है। उसके लिए तीन इलेक्ट्रोड चिकित्सा ऑटोक्लेव सिस्टम तैयार किया गया है, जो पीपीई किट के विषाणु को महज 15 मिनट में मार सकेगा। इस विधि से विषाणु कोशिकाओं को निष्क्रिय किया जा सकता है। इससे उनकी विकास क्षमता भी कमजोर हो जाएगी।”

उन्होंने बताया, “इस विधि से बहुत कम समय में चीजों को ऑटोक्लेव किया जा सकता है। इसके अंदर तापमान भी कमरे के तापमान जैसा ही रहता है। यह बहुत कम समय में ऑटोक्लेव कर देता है। यह यूवी रेडिएशन से बेहतर परिणाम देता है।”

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प्लास्टिक की चीजें पिघलने की आशंका रहती है

डा़ॅ मार्शल ने इस विधि पर कार्य करना कोरोना संक्रमण का प्रकोप देश में फैलने से काफी पहले ही शुरू कर दिया था। उन्होंने बताया कि स्टरलाइज करने के लिए आमतौर पर कुकरनुमा मशीन से उपकरणों में मौजूद वैक्टिरया को मारा जाता है। इस मशीन के अंदर का तापमान 120 से 125 के बीच होता है, जिस कारण प्लास्टिक की चीजें पिघलने की आशंका रहती है। जैसे PPE Kit और कैंची के पीछे लगी प्लास्टिक इत्यादि। लेकिन थ्री इलेक्ट्रोड सिस्टम से पानी को बिना गर्म किए उपकरण को स्टरलाइज किया जा सकता है। इसमें दो साधारण सर्किट में 5 से 10 वोल्ट बिजली प्रवाहित कर विषाणुओं को निष्क्रिय कर दिया जाता है।

सब्जी वगैरह आराम से विसंक्रमित हो सकते हैं

उन्होंने बताया कि इसमें 3 इलेक्ट्रोड विधि में प्लास्टिक चीजों और सब्जी वगैरह बहुत आराम से विसंक्रमित हो सकते हैं। इसमें पानी गर्म नहीं होगा। पुरानी पद्धति से करने में 5 से 10 घंटे लगते हैं। लेकिन इसमें 10 से 15 मिनट में यह कीटाणु को खत्म कर देगा। अगर टमाटर में कीटाणु है तो पानी के अंदर वह जैसे ही इलेक्ट्रोड के संपर्क में आएगा, तो करंट के कारण पानी से हट जाएगा और टमाटर कीटाणु से मुक्त हो जाएगा। यह विधि डॉक्टरों और घर के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।

किटाणु कमजोर होकर पूर्णतया नष्ट हो जाते हैं

प्रोफेसर मार्शल ने बताया कि यह वोल्टेज की उपस्थिति में कीटाणुओं को चार्ज प्लैटिनम इलेक्ट्रोड की सतह पर ले जाता है। इलेक्ट्रोड की सतह पर वोल्टेज के प्रभाव से कीटाणु कमजोर होकर पूर्णतया नष्ट हो जाते हैं।

डॉ. मार्शल ने बताया कि इस विधि से मेडिकल के क्षेत्र के अलावा घर में फलों, सब्जिया और दूसरी वस्तुओं को विषाणु मुक्त किया जा सकता है। स्टरलाइज करने की अपन इस तकनीक का पेंटेट कराने के लिए उन्होंने आवेदन किया है और इसके उपयोग के संबंध में सहमति के लिए उन्होंने सरकार को पत्र लिखा है।”

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