यूपी की सियासत और गेस्‍ट हाउस कांड

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यूपी का चुनावी माहौल गर्म है. पार्टियों में हर दिन कुछ न कुछ नया हो रहा है. आज हम आपको अतीत के पन्‍नों में दबी एक ऐसी घटना से रूबरू करा रहे हैं जो यूपी की सियासत में एक खास मुकाम रखती है. जी हां हम बात कर रहे हैं लखनऊ में 1995 में हुए गेस्‍ट हाउस कांड की. वही गेस्‍ट हाउस कांड जिसने समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के बीच दुश्‍मनी की गहरी लकीर खींच दी थी. ये बात अलग है कि दुश्‍मनी की ये लकीर 2019 में मोदी के खिलाफ अखिलेश-मायावती  (बबुआ और बुआ) के बीच हुए चुनावी गठबधंन के बाद थोड़ी कमजोर हुई. पर इस चुनाव में मिली हार ने बुआ और भतीजे को एक बार फिर से अलग कर दिया, और फिर से सपा बसपा के बीच सांप और नेवले की स्थिति कायम हो गयी.

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सपा और बसपा साथ मिलकर लड़े थे चुनाव

बात शुरुआत से करते हैं. मुलायम सिंह यादव ने 1992 में समावजादी पार्टी का गठन किया और बसपा सुप्रीमो मायावती से हाथ मिलाया. दोनों पार्टियों के बीच नजदीकी की वजह भारतीय जनता पार्टी के बढ़ते प्रभाव का मिलकर मुकाबला करना था. 1993 में दोनों पार्टियों ने मिलकर उत्‍तर प्रदेश का चुनाव लड़ा. सपा ने 109 पर साइकिल दौड़ायी तो बसपा का हाथी 67 सीट पर दौड़ा. अधिक सीटें सपा के हिस्‍से थीं इसलिए मुलायम मुख्‍यमंत्री बने. मायावती ने उन्‍हें समर्थन दिया. पर कहा गया है सियासत में महत्‍वाकांक्षा दोस्‍ती और दुश्‍मनी की वजह बनती है. मुलायम और मायावती के रिश्‍ते में भी कुछ ऐसा ही हुआ. भाजपा ने मायावती पर दांव खेला और उनके मन में मुख्‍यमंत्री बनने की आस जगा दी. एक जून 1995 को बसपा ने सपा से समर्थन वापस ले लिया.

गेस्‍ट हाउस में मची मारधाड़

इसी बीच भाजपा ने तत्‍कालीन गर्वनर मोती लाल वोहरा को अपने समर्थन के साथ मायावती को मुख्‍यमंत्री बनाये जाने का प्रस्‍ताव सौंप दिया. बसपा और भाजपा के इस सियासी चाल की खबर मुलायम को पता चली और उन्‍होंने गर्वनर से बहुमत सिद्ध करने की इजाजत मांगी पर उन्‍होंने इनकार कर दिया. दो जून 1995 को इधर मायावती ने अपने विधायकों को लखनऊ गेस्‍ट हाउस में मीटिंग के लिए बुलाया. तब तक सपा के लोगों को भी बसपा और भाजपा की नजदीकियों का पता चल गया और वे भी बड़ी संख्‍या में गेस्‍ट हाउस पहुंचे. फिर जो हुआ कि पूछिये मत. सपा और बसपा के लोगों के बीच जमकर मारपीट शुरू हो गयी. कितनों के ही सिर फूट गये. हर तरफ मारधाड़ और तोड़ फोड़.

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कमरे में छिप कर बचायी जान

बसपा  प्रमुख मायावती ने किसी तरह कमरे में खुद को बंद कर लिया. उनके साथ कुछ और भी लोग थे. सपा के लोग लगातार दरवाजा तोड़ने का प्रयास कर रहे थे. दरवाजे की कुंडी न टूट जाये इसलिए कमरे में रखे सोफा, कुंर्सियों व बेड को दरवाजे के पास सटा कर रखा गया था. मायावती ने मुकदमा दर्ज कराया कि सपा के लोग उनकी जान लेना चाहते थे. इसी घटना को गेस्‍ट हाउस कांड के नाम से जाना जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मायावती की ओर से पुलिस बुलाने के बहुत प्रयास किये गये लेकिन कोई भी वहां नहीं पहुंचा. प्रत्‍यक्षदर्शियों का कहना है कि मीडिया के लोगों की भारी जमावड़े के चलते मायावती की जान बच सकी थी. सपा वाले मीडिया के कैमरे और कलम के चलते ठंडे पड़े थे. वरना और भी बड़ी घटना घट सकती थी. हालांकि इस कांड के बाद मायावती को यूपी के सिंहासन पर बैठना भी नसीब हुआ.

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