रील लाइफ में ‘अनिल’ तो रियल लाइफ में ‘जगदंबिका’ थे एक दिन के सीएम
यूपी का चुनावी मौसम दिन बीतने के साथ ही गर्मी पकड़ता जा रहा है. सात चरणों में होने वाले चुनावों में मतदान की प्रक्रिया 10 फरवरी से शुरू होकर सात मार्च को अंतिम चरण के मतदान के साथ पूरी होगी. 10 मार्च को चुनावी नतीजे आने के साथ ही यह साफ हो जायेगा कि यूपी के सिंहासन पर कौन बैठेगा. क्या वर्तमान के सीएम योगी अपनी सत्ता बचा पाने में कामयाब होंगे या फिर कोई और अगले पांच सालों के यूपी की बागडोर संभालेगा. जी हां जो भी जीतेगा यूपी की राजगद्दी पांच सालों के लिए उसकी होगी. पर ये तब संभव होगा जब परिस्थितियां सामान्य हों. वरना इसी यूपी में एक माननीय सिर्फ एक दिन के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. जी हां जगदंबिका पाल एक ऐसे नेता थे जिनका बतौर मुख्यमंत्री का कार्यकाल सिर्फ 24 घंटे का ही था. रील लाइफ में अनिल कपूर ने नायक फिल्म में 24 घंटे के सीएम का रोल निभाया था तो रियल लाइफ में जगदंबिका पाल यूपी में 24 घंटे के सीएम रहे.
जगदम्बिका को 24 घंटे में छोड़नी पड़ी थी कुर्सी
1998 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त कर जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी. पर इसके ठीक अगले ही दिन मामला बदल गया. कोर्ट के आदेश पर हुए फ्लोर टेस्ट में कल्याण सिंह फिर से मुख्यमंत्री बन गये और जगदंबिका पाल को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. हुआ ये था कि वर्ष 1998 में तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारीने कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त करते हुए लोकतांत्रिक कांग्रेस के जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दी थी. भाजपा ने इसका जोरदार विरोध किया और मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कम्पोजिट फ्लोर टेस्ट का आदेश दे दिया. जिसमें जगदंबिका पाल के 196 मतों के मुकाबले कल्याण सिंह को 225 मत हासिल हुए थे. कल्याण सिंह बहुमत साबित करने में सफल रहे. जिसका नतीजा रहा कि जगदंबिका पाल पद छोड़ना पड़ा था.
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कल्याण सिंह का किया था तख्तापलट
कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में जगदंबिका पाल मंत्री थे. उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ कल्याण सिंह सरकार का तख्ता पलट दिया. कल्याण सिंह ने सदन में बहुमत परीक्षण कराने को कहा पर गर्वनर रोमेश भंडारी ने इसे मानने से इंकार कर दिया और आनन फानन में जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. इस पूरे मामले में एक तत्कालीन स्पीकर केसरी नाथ त्रिपाठी की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा. केसरी नाथ त्रिपाठी ने 12 सदस्यों को दल बदल कानून के तहत अयोग्य करार दे दिया. जिसको लेकर उनकी बहुत किरकिरी हुर्इ. इन 12 सदस्यों ने कल्याण सिंह के समर्थन में वोट किया था. फ्लोर टेस्ट में इनके वोटों केा घटाने के बाद भी कल्याण सिंह बहुमत में रहे और फिर से सीएम पद की शपथ ली.
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वाजपेयी बैठे थे अनशन पर
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उत्तर प्रदेश की सत्ता से बेदखल होने के बाद दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी आमरण अनशन पर बैठ गये थे. भाजपा ने यूपी की सत्ता से इस बेदखली का जोरदार विरोध किया था. बताते चलें कि उन दिनों केन्द्र में कांग्रेस के समर्थन से बनी इंद्र कुमार गुजराल के नेतृत्व वाली युनाइटेड फ्रंट की सरकार थी.
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