कर्नाटक चुनाव में छोटी ओबीसी जातियां निभा सकती हैं बड़ी भूमिका

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कर्नाटक के चुनावी घमासान में किसे बहुमत मिलेगा, इसे लेकर अभी स्थिति बहुत स्‍पष्‍ट नहीं है लेकिन राज्‍य में जीत का अंतर कम होता जा रहा रहा है। ऐसे में कर्नाटक चुनाव के लिए छोटा अंतर ही काफी बड़ा साबित हो सकता है। इसी को देखते हुए राज्‍य के राजनीतिक दल अन्‍य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अंदर 200 छोटे दलों पर नजरे गड़ाए हुए हैं।

नेता के रूप में उभरने में ‘अन्‍य’ ओबीसी ही काफी महत्‍वपूर्ण थे

ये दल राज्‍य में कई सीटों पर बदलाव ला सकते हैं।दरअसल, कांग्रेस नेता और राज्‍य के मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया के अहिंदा (माइनॉरिटीज, बैकवर्ड क्लासेज, दलितों का कन्नड़ में शॉर्ट फॉर्म) नेता के रूप में उभरने में ‘अन्‍य’ ओबीसी ही काफी महत्‍वपूर्ण थे।

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कर्नाटक में ओबीसी के अंदर 2017 जातियां जिसमें वोक्‍कालिंगा, कुरुबास और बेहद प्रभावशाली समझे जाने वाले लिंगायत समुदाय का एक धड़ा शामिल हैं। राजनीतिक विश्‍लेषकों का मानना है कि अन्‍य ओबीसी हो सकता है कि अकेले उतना प्रभावशाली न हों लेकिन एक साथ जाएं तो उनके पास काफी वोट हैं।

‘अनुमान लगाना बेहद कठिन’

इदिगास, नेकरास, विश्‍वकर्मा, गोल्‍लास, उपरास, मदिवलास, कुंबरास, तिगलास, सवितास, मराठा, कोली, नामधारी रेड्डी, बंट्स और कोडवास इनमें से काफी प्रभावशाली हैं। एक ओबीसी नेता एन शंकरन्‍ना कहते हैं, ‘हरेक विधानसभा चुनाव में ओबीसी की छोटी जातियों ने अलग-अलग तरीके से वोट किया है। इसलिए वे इस बार क्‍या करेंगे, यह अनुमान लगाना कठिन है।’

छोटे दलों का वोट महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकता है

इडिगास की पकड़ दक्षिण कन्‍नड, शिवमोगा और कलबुर्गी के कई इलाकों में है जबकि नेकरास की पकड़ उत्‍तर कर्नाटक में ज्‍यादा है। शंकरन्‍ना कहते हैं कि तीनों राजनीतिक दलों को प्रभावशाली जातियों का समर्थन हासिल है लेकिन छोटे दलों का वोट महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बता दें कि कर्नाटक में 12 मई को विधानसभा की 224 सीटों के लिए मतदान होगा। वहीं वोटों की गिनती 15 मई को की जाएगी। इन सबके बीच राजनीतिक दलों की जुबानी जंग तेज हो गई है।

NBT

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