रोहित वेमुला मामले की तेलंगाना पुलिस फिर करेगी जांच, क्लोजर रिपार्ट पर परिवार ने जताया था संदेह

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रोहित वेमुला की मौत का मामला एक बार फिर लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनकर उभर आया है. इस मामले में तेलंगाना पुलिस की ओर से दायर क्लोजर रिपोर्ट पर रोहित की मां और भाई ने संदेह जताया है. वहीं तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रवि गुप्ता ने विवाद बढ़ने के बाद रोहित वेमुला आत्महत्या केस में आगे की जांच के आदेश दिए हैं. बता दें कि रोहित वेमुला मौत मामले में तेलंगाना पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और तीन अन्य को दोषमुक्त कर दिया गया है.

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परिवारजनों ने कही थी रिपार्ट को चुनौती देने की बात

रोहित वेमुला के परिजन ने पुलिस की क्लोजर रिपार्ट आने के बाद कहा था कि वे रोहित के आत्महत्या मामले में क्लोजर रिपोर्ट को कानूनी रूप से चुनौती देंगे. रोहित के भाई राजा वेमुला के अनुसार जिलाधिकारी ने परिवार के अनुसूचित जाति के होने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया है. वहीं इस रिपार्ट को लेकर परिवार ने संदेह व्यक्त किया है. इसके बाद तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक रवि गुप्ता ने शुक्रवार देर रात एक बयान में कहा कि संबंधित अदालत में एक याचिका दायर की जाएगी और मजिस्ट्रेट से आगे की जांच की अनुमति देने का अनुरोध किया जाएगा. डीजीपी गुप्ता के मुताबिक चूंकि मृतक की मां और अन्य लोगों ने जांच पर कुछ संदेह व्यक्त किया है, इसलिए मामले में आगे की जांच करने का निर्णय लिया गया है.

क्या लिखा है क्लोजर रिपोर्ट में

बता दें कि रोहित वेमुला ने 2016 में आत्महत्या कर ली थी. उसका शव उसके कमरे से बरामद किया गया था. पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट में दावा किया गया कि रोहित वेमूला दलित नहीं था और उसने असली जाति की बात उजागर होने के डर से आत्महत्या की थी. वहीं इस मामले में सबूतों की कमी का हवाला देते हुए पुलिस ने आरोपियों को ‘क्लीन चिट’ दे दी है. रिपोर्ट में लिखा है कि रोहिता वेमुला को कई मुद्दे परेशान कर रहे थे जिसके कारण वह आत्महत्या कर सकता था. इसके अलावा दावा किया गया है कि वेमुला को पता था कि वह अनुसूचित जाति का नहीं है और उसकी मां ने उसे अनुसूचित जाति (एससी) का प्रमाण पत्र बनवाकर दिया था. यह भय का कारणों में से एक हो सकता है, क्योंकि इसके उजागर होने के परिणामस्वरूप उनकी शैक्षणिक उपाधि वापस ली जा सकती थी जो उसने वर्षों में अर्जित की थीं और उसे अभियोजन का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ता. रिपोर्ट के मुताबिक तमाम कोशिशों के बावजूद, यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला कि आरोपियों के कृत्यों ने मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाया.

बता दें कि इस मामले में हैदराबाद विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति अप्पा राव पोडिले, भाजपा के पूर्व सांसद बंडारू दत्तात्रेय, भाजपा के पूर्व विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) एन. रामचंद्र राव के साथ-साथ एबीवीपी के कुछ नेता भी आरोपी थे.

अमित मालवीय ने बोला हमला

बता दें कि वेमुला की मौत वर्ष 2016 में राजनीतिक मुद्दा बन गया था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसके लिए केंद्र सरकार पर हमला बोला था. उनके अलावा तमाम विपक्ष के नेताओं ने केन्द्र सरकार पर दलित विरोधी होने के आरोप लगाये थे. वहीं, तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मामले को जाति की लड़ाई के तौर पर पेश करने के कथित प्रयासों की आलोचना की थी. पुलिस द्वारा मामले को बंद करने की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा, तेलंगाना पुलिस ने रोहित वेमुला मामले को बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की है जिसमें दावा किया गया है कि वह दलित नहीं था और उसने आत्महत्या की थी. आगे लिखा कि सत्य की जीत हुई. वहीं राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या अब वह दलित से माफी मांगेंगे?

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