पीएम मोदी का ‘भागीरथ’ प्रयास, पुराने रंग में लौटने लगी पतित पावनी
गंगा में प्रदूषण को रोकना मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस दिशा में सरकार ने अलग मंत्रालय बनाने के साथ ही नमामि गंगे प्रोजेक्ट की शुरुआत की। आठ साल की मेहनत के बाद सरकार ने कामयाबी की ओर कदम बढ़ाने शुरु किए हैं।
गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दावा है कि पतित पावनी अब अपने पुराने रंग में आने लगी हैं। गंगा का जल न सिर्फ पहले की तुलना में स्वच्छ हुआ है बल्कि उसमें ऑक्सीजन का लेवल बढ़ने लगा है।
नालों की टेपिंग से मिली कामयाबी-
वाराणसी में गंगा प्रदूषण को कम करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती की तरह थी। यहां पर दो दर्जन से अधिक नाले का गंदा पानी सीधे गंगा में गिरता है।
नालों पर बंदिश लगाने के लिए गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जमीनी स्तर पर काम करना शुरु किया। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाई गई। नालों की टेपिंग की गई, जिसका असर अब दिखने लगा है। पहले के मुकाबले गंगा में ऑक्सीजन का लेवल बढ़कर 9.0 तक पहुंच चुका है।
आचमन योग्य हुआ गंगाजल-
भारत में गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है बल्कि आस्था का केंद्र भी है। सदियों से लोग गंगाजल से आचमन करते आ रहे हैं। लेकिन हाल के सालों में जिस तरह से गंगा में प्रदूषण का लेवल बढ़ा, उससे आचमन तो छोड़िए स्नान करने से भी लोग कतराने लगे।
हालांकि केंद्र सरकार की लगातार कोशिशों का ही नतीजा है कि अब गंगा में प्रदूषण के बादल छंटने लगे हैं। गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार वाराणसी में गंगा में गिरने वाले 30 मे शीर्ष 23 में से 19 नालों की टेपिंग करने से गंगा में आक्सीजन लेवल की बढ़ोत्तरी हुई है।
इस सम्बन्ध में हमने बात की गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह से, जिन्होंने बताया कि हम लगातार वाराणसी में गंगा जल में आक्सीजन लेवल का परिक्षण करते हैं।
वाराणसी के अंदर गंगा में गिरने वाले नालों 30 मे शीर्ष 23 में से 19 की टेपिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से हो चुकी है और ये सभी नाले एसटीपी से जुड़ चुके हैं।
ऐसे में इस बारे के गंगा जल आक्सीजन परिक्षण में आक्सीजन का लेवल 8.0 से 9.0 तक रहा है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि अब गंगा जल नहाने और आचमन करने योग्य है।
रंग ला रही हैं प्रधानमंत्री की कोशिशें-
गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि वाराणसी में प्रधानमंत्री के प्रयासों से लगातार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाये जा रहे हैं, जिससे शहर का गंदा और प्रदूषित पानी इन तक जा रहा है।
गंगा में गिरने वाले 19 नालों की पूरी तरह से टेपिंग की गयी है। उसके बाद के ये परिणाम है। जल्द ही गंगा में गिरने वाले तीन और बड़े नालों की टेपिंग की जायेगी। इन नालों को रमना में निर्माणधीन एसटीपी से जोड़ा जाएगा।
सहायक नदियों के बारे में गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने बात करते हुए बताया कि वाराणसी में गंगा की प्रमुख सहायक नदी वरुणा का भी पानी अब नहाने योग्य है।
वाराणसी में अकेले वरुणा नदी में 14 नाले प्रवाहित किये जाते हैं, जिसमें से 11 की टेपिंग की जा चुकी है। इससे वरुणा की सेहत में भी सुधार हुआ है। वरुणा में भी 8 के लगभग आक्सीजन लेवल मिला है।
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