डीएम वैभव ने पीलीभीत को किया कोरोना फ्री, बनाया मॉडल
पीलीभीत प्रदेश का एक ऐसा जिला है जो कोरोना फ्री हो चुका है
देश भर में जहां कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं वहीं उत्तर प्रदेश का एक जिला ऐसा है जिसने कोरोना की लड़ाई में खुद को अव्वल साबित किया है। जी हां पीलीभीत प्रदेश का एक ऐसा जिला है जो कोरोना फ्री हो चुका है। कोरोना से लड़ाई में प्रशासनिक तैयारियां भारी साबित हुईं और कोरोना को जिला छोड़कर भागना पड़ा है। कोरोना पर इस जीत के हीरो बने पीलीभीत के डीएम वैभव श्रीवास्तव। उनकी टीम ने बेहतर व्यवस्था के जरिये अपने जिले को कोरोना से सुरक्षित कर लिया। पीलीभीत आज प्रदेश के अन्य जिलों के मॉडल बन गया है।
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कैसे संभव हुआ ये सब-
हुआ यूं कि सऊदी अरब से शकीला और उनके बेटे मेराज पीलीभीत लौटे तो कोरोना वायरस से संक्रमित थे। उन्हें इस बात का पता नहीं था। पर लक्षणों के आधार पर जांच हुई 20 मार्च को लखनऊ से आई रिपोर्ट में शकीला सबसे पहले संक्रमित पाई गईं, उसके बाद 23 मार्च को उनका बेटा भी संक्रमित पाया गया। एक के बाद एक करके मरीजों के मिलने से पीलीभीत से लेकर लखनऊ तक में हड़कम्प मच गया। जिला प्रशासन युद्धस्तर पर कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए लग गया।
पीलीभीत के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में कोरोना के दो केस मिलने के बाद उस मुश्किल दौर में कठिन उपाय अपनाकर संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के लोगों ने भी बेहतर ढंग से कार्य किया। जिस कारण जिले को फिलहाल कोरोना वायरस से मुक्त किए जाने में सफलता मिली है। बताया कि जिले में दो मरीजों के मिलने के बाद पीलीभीत जिले को सबसे संवेदनशील मान लिया गया। इसके बाद पूरे इलाके में सिलिंग करके रोकथाम के लिए हर जरूरी उपाय किए गए। इसका परिणाम अब आपके सामने है जिले में संक्रमित मरीजों की संख्या आगे नहीं बढ़ने पाई है।
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सीमाओं को कर दिया सील-
जिला प्रशासन ने कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए और भी जरूरी कदम उठाये। जिसके अंर्तगत हज से लौटे सभी लोगों को घरों से उठाकर क्वारंटाइन सेंटर पहुंचाया। इन सभी लोगों के सैंपल प्रशासन ने जांच के लिए लखनऊ प्रयोगशाला भेजा। इसके अलावा शकीला के संपर्क में आए उसके परिजनों, रिश्तेदारों और किराएदारों को भी प्रशासन ने आनन-फानन में क्वारंटाइन करके उनके भी सैंपल जांच के लिए भेज दिए। यही नहीं, अमरिया क्षेत्र के गांव हर्रायपुर के आसपास तीन किलोमीटर की परिधि को पूरी तरह से सील कर दिया गया। यहां पर सैनिटाइजेशन और स्क्रीनिंग की प्रक्रिया को काफी सक्रिय तरीके से किया गया।
उत्तराखंड की सीमा से सटा होने के कारण यहां पर नेशनल हाईवे से आने जाने वाले लोगों की भी जांच की गई। यहां पर लोगों को राशन और अन्य जरूरी सामान को लेने में किसी प्रकार की परेशानी न हो डोर टू डोर सप्लाई करने की नीति अपनाई गई। जिसका परिणाम यह रहा कि यहां पर कोरोना वायरस का कोई भी नया मामला सामने नहीं आया। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले की सीमा नेपाल राष्ट्र से सटी हुई है। ऐसे में यहां पर प्रशासन ने सीमा पर और मुस्तैदी बढ़ा दी।
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बाहर से आने वाले हर व्यक्ति की स्क्रीनिंग-
पीलीभीत में बाहर से आने वाले हर व्यक्ति की जांच और स्क्रीनिंग शुरू करा दी गयी। जिला मेडिकल संबंधी मामलों में ही पास जारी किए गए। जिले में संवेदनशील माने जाने वाले इलाकों में 15 बैरियर पर तीस मजिस्ट्रेट तैनात किए और आने-जाने वालों की लगातार मानीटरिंग की गई। पिछले 20 दिनों से जिले में कोई नया केस न आने के कारण सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी तारीफ की है।
उन्होंने लखनऊ में अपने मंत्रियों और अधिकारियों के साथ हुई बैठक में पीलीभीत जिले की जमकर प्रशंसा की और इस मॉडल को अन्य जिलों के लिए नजीर के तौर पर पेश करने की बात कही। सोमवार को गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अवनीश के अवस्थी ने घोषणा करते हुए कहा कि पीलीभीत अब कोरोना मुक्त हो चुका है। उन्होंने बताया पीलीभीत प्रदेश का पहला ऐसा जनपद है जो कोरोना प्रभाव से पूरी तरह मुक्त हो गया है।
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