नृत्‍य गोपाल दास ने कहा: रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट में अयोध्‍या के संतों के साथ हुआ अन्‍याय

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रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट के बनने के बाद से ही इसका विवादों से नाता नहीं छूट रहा है।

अयोध्या में दोपहर तीन बजे संतों ने एक बैठक बुलाई है। बैठक के बाद संत केंद्र सरकार के फैसले पर अपनी राय रख सकते हैं। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के बनाए राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्र्स्ट में नुमाइंदगी को लेकर कुछ संत नाराज हैं।

संतों की बैठक में कोई अहम फैसला?

अयोध्‍या में राम मंदिर बनाने के लिए ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्‍ट के ऐलान के बाद अयोध्‍या के संतों ने इस पर गहरी नाराजगी जताई है। राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास ने कहा है कि ट्रस्‍ट में अयोध्‍या के संतों के साथ अन्‍याय हुआ है। उन्‍होंने कहा कि राम मंदिर अब वे लोग बनाएंगे जिन्‍हें कुछ भी पता नहीं है। इस बीच संतों ने आज शाम 3 बजे एक अहम बैठक बुलाई है जिसमें कोई अहम फैसला हो सकता है।

एक निजी चैनल से बातचीत में नृत्‍य गोपाल दास ने कहा, ‘अयोध्या के संतों के साथ अन्याय हुआ है। अयोध्या में राम मंदिर वे लोग बनाएंगे जिन्हें कुछ नहीं पता।’ इस बीच अयोध्या में दोपहर तीन बजे संतों ने एक बैठक बुलाई है। बैठक के बाद संत केंद्र सरकार के फैसले पर अपनी राय रख सकते हैं। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के बनाए राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्र्स्ट में नुमाइंदगी को लेकर कुछ संत नाराज हैं। इस ल‍िहाज से यह बैठक काफी अहम है।

लोकसभा में बताया राम मंदिर का पूरा प्लान

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राम मंदिर का पूरा प्लान बताया। उन्होंने घोषणा की कि राम मंदिर के लिए बनने वाले ट्रस्ट का नाम ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ होगा। इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य होंगे। गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके बताया कि 15 में से एक सदस्य दलित समुदाय से भी होगा। ट्रस्ट में शामिल किए जाने वाले लोगों में ऐडवोकेट के. पराशरण, कामेश्वर चौपाल, महंत दिनेंद्र दास और अयोध्या राज परिवार से जुड़े बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा जैसे नाम प्रमुख हैं।

लंबे समय तक चले अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन करे। सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के तहत ट्रस्ट का गठन करते हुए केंद्र सरकार ने इसका नाम ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट रखा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भारत सरकार ने राजपत्र जारी कर कहा है कि विवादित स्थल के आंतरिक और बाह्य प्रांगण का कब्जा न्यास को सौंप दिया गया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार और ट्रस्ट स्कीम के तहत भूमि पर विकास कराएगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में 15 ट्रस्टी होंगे, जिनमें से एक ट्रस्टी हमेशा दलित समाज से रहेगा।

पराशरण को मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट में बड़ी जिम्‍मेदारी

इस बीच पता चला है कि ‘देवताओं के वकील’ यानि के. पराशरण को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट में बड़ी जिम्‍मेदारी दी गई है। के. पराशरण को ट्रस्‍ट का सदस्‍य बनाने के साथ उनके दिल्‍ली के ग्रेटर कैलाश स्थित घर को ऑफिशियल ऑफिस बनाया गया है। ट्रस्‍ट की गतिविधियों को यहीं से संचालित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को संसद के बजट सत्र के दौरान राम मंदिर ट्रस्‍ट बनाए जाने की जानकारी दी थी।

के श्रीनंगम तमिलनाडु से हैं। इनका जन्‍म 9 अक्‍टूबर 1927 को हुआ था। के श्रीनंगम के पिता केशव अयंगर भी वकील थे, इसलिए वकालत उन्‍हें विरासत में मिली है। केशव अयंगर ने सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस की थी। हालांकि, श्रीनंगम पिता से कही आगे निकल गए। पराशरण ने साल 1958 में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी। श्रीनंगम 1983 से 1989 के बीच भारत के अटॉर्नी जनरल रहे। वह राज्‍यसभा सदस्‍य भी रह चुके हैं। पराशरण के तीन पुत्र मोहन, सतीश और बालाजी भी वकील हैं।
विवाद मामले में हिन्दू पक्षों की ओर से पैरवी की थी

विवाद मामले में हिन्दू पक्षों की ओर से पैरवी की थी

पराशरण ने अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मामले में हिन्दू पक्षों की ओर से पैरवी की थी। इसलिए उन्‍हें ‘देवताओं के वकील’ भी कहा जाने लगा। केस की पैरवी के दौरान उन्‍होंने जो दलीलें दीं, उन्‍हें सुनकर लोग दंग रहे गए। अयोध्या मामले में उन्होंने स्कन्ध पुराण के श्लोकों का जिक्र करके राम मंदिर का अस्तित्व साबित करने की कोशिश की थी, जिसमें वह सफल भी रहे। अयोध्‍या जमीन विवाद का फैसला हिन्दू पक्षों के पक्ष में आया।

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