आरटीआई का सहारा लेकर ‘ढूंढ रहें हैं रिश्तेदारों को’…
अब लोग आरटीआई का सहारा लेकर अपने पुराने परिचितों को भी तलाश रहे हैं। ऐसा ही एक मामला राजधानी लखनऊ का सामने आया, जहां अपने स्वर्गीय पिता के पुलिस अधिकारी मित्रों का पता लगाने को एक युवक ने आरटीआई का सहारा लिया। स्थानीय स्तर पर सूचना न मिलने पर उसने राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया है।
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हमराही कॉन्स्टेबल इजराइल के बारे में जानकारी मांगी
रिवर बैंक कॉलोनी, लखनऊ में रहने वाले सिद्धार्थ नारायण ने नवंबर 2014 में आरटीआई के जरिए पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद से 1984 के दौरान लखनऊ में एसएसपी के पद पर तैनात एसपी सिंह, डीआईजी रेंज जैक्सन, वजीरगंज थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर आरबी मिश्रा और उनके हमराही कॉन्स्टेबल इजराइल के बारे में जानकारी मांगी थीं।
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उनके परिवारों का एक दूसरे के घर आना जाना था
सिद्धार्थ ने पूछा था कि ये लोग किस पद से कब रिटायर हुए/ इनका मूल पता क्या है/ और वर्तमान में वह कहां रह रहे हैं/ सूचना न मिलने पर उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील की। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने बताया कि आवेदक के मुताबिक उस समय डीआईजी रहे जैक्सन, एसएसपी एसपी सिंह और वजीरगंज इंस्पेक्टर आरबी मिश्रा उनके पिता डॉ विजय नारायण (मेडिकल कॉलेज) के मित्र थे। उनके परिवारों का एक दूसरे के घर आना जाना था।
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उस समय सिद्धार्थ की उम्र कम थी
1984 में उनके पिता की मृत्यु हो गई और कुछ दिनों बाद इन लोगों का भी लखनऊ से तबादला हो गया। उस समय सिद्धार्थ की उम्र कम थी। बड़े होने पर उसने पिता के मित्रों की खोज शुरू की। आयुक्त ने बताया कि इस दौरान आवेदक ने लखनऊ एसएसपी कार्यालय से लेकर डीआईजी कार्यालय तक चक्कर लगाए लेकिन कहीं भी उस समय के रेकॉर्ड नहीं मिले। आयुक्त उस्मान की मानें तो अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को पुलिस दफ्तरों में रिकॉर्ड न होना गंभीर है।
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कर्मचारियों का पुलिस के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है
इसलिए उन्होंने पुलिस मुख्यालय को नोटिस भेज कर पूरे प्रकरण की जांच करवाने और उक्त अधिकारियों के बारे में सूचना देने के निर्देश दिए। इस पुलिस मुख्यालय ने सूचना दी कि तत्कालीन एसएसपी लखनऊ सुरेश पाल सिंह बरेली के निवासी थे। आईजी पद से रिटायर होने के बाद अक्टूबर 1992 में सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो चुकी है। तत्कालीन डीआईजी जैक्सन जैकब 1992 में डीजी अभियोजन के पद से रिटायर हुए। वह गुलिस्ता कॉलोनी में रहते थे और फरवरी 2002 में उनकी भी मृत्यु हो चुकी है। यह भी जानकारी दी कि इंस्पेक्टर आरबी मिश्रा सहित अन्य कर्मचारियों का पुलिस के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है।
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