क्या भारत में लॉकडाउन जुलाई तक चलेगा?
यह पहले खुला तो संक्रमण पर जो शुरुआती रोक लगी है वह बेकार चला जायेगा
पूरे भारत में घरों में लॉकडाउन Lockdown में बैठे लोगों को आस है कि तीन मई के बाद Lockdown खुल जायेगा। पर, विशेषज्ञ इस बाबत कोई संभावना नहीं देखते कि तीन मई का Lockdown खुल जायेगा।
उनका कहना है कि अगर इससे पहले यह खुला तो कोरोना संक्रमण पर जो शुरुआती रोक लगी है वह पूरा का पूरा प्रयास बेकार चला जायेगा। एक्सपर्ट की राय है कि इसे जल्द खोलना उचित नहीं होगा।
जवाब अलग-अलग तरीक़े से सामने आ रहे
तमाम लोग तमाम सवाल पूछ रहे हैं और सभी की नजर इस ओर है पर जवाब भी अलग-अलग तरीक़े से सामने आ रहे हैं।
भारत में कोरोना से ग्रसित लोगों की संख्या 21000 के पार जा चुकी है।
इस बाबत प्रमुख टीवी चैनेल आजतक का कहना है कि तीन मई के बाद भारत में क्या होगा?क्या 3 मई के बाद Lockdown ख़त्म हो जाएगा? इस बारे मेें हर आदमी एक दूसरे से पूछ रहा है मगर जवाब किसी के पास नहीं है।
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असली तस्वीर अप्रैल के आखिर और मई के दो-तीन हफ्ते में सामने आएगी
देश और दुनिया के तमाम एक्सपर्टस ये कह रहे हैं कि भारत में कोरोना की असली तस्वीर अप्रैल के आखिर और मई के पहले दो-तीन हफ्ते में सामने आएगी। शायद इस दौरान कोरोना अपने पीक पर होगा। तो जब कोरोना अपने पीक पर होगा तो Lockdown का क्या होगा?
भारत में जुलाई के बाद हटेगा लॉकडाउन?
अमेरिका की बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप यानी बीसीजी ने जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी से मिले डेटा के आधार पर दुनिया के 20 देशों का एक कोराना चार्ट तैयार किया है। इसके मुताबिक चीन को छोड़कर किसी भी देश में जुलाई से पहले Lockdown हटने वाला नहीं है। और अगर हटता है तो हालात बिगड़ सकते हैं। रही बात चीन की तो जिस हुबेई प्रांत में कोरोना का सबसे ज़्यादा असर हुआ और जिस प्रांत में कोरोना का एपिसेंटर वुहान है, वो इसी सूबे में पड़ता है। यहां 8 अप्रैल को Lockdown खुलने का अनुमान लगाया गया था। और हुआ भी यही। चीन ने हुबेई में वुहान को छोड़कर 8 अप्रैल को Lockdown हटा दिया। क्योंकि यहां उसके बाद कोरोना के मामले ही आने बंद हो गए थे। मगर दुनिया के प्रेशर और चीन में मौत के आंकड़ों पर उठ रहे सवाल के बाद यहां अचानक करीब 1300 मौत के आंकड़े दर्ज किए गए।
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Lockdown जून के आखिरी हफ्ते से लेकर सितंबर के दूसरे हफ्ते तक चल सकता है
बीसीजी ऐसा अनुमान लगा रही है कि भारत में ये Lockdown जून के आखिरी हफ्ते से लेकर सितंबर के दूसरे हफ्ते तक चल सकता है। इसके बाद भी हालात की संवेदनशीलता को ही देखकर भारत सरकार को ये लॉकडाउन हटाना या उसमें रियायत देने का फैसला लेना होगा। मगर इससे पहले लॉकडाउन हटाना भारत के लिए मुश्किल भरा फैसला हो सकता है। क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो भारत में कोरोना पॉज़िटिव केसेज़ की बाढ़ सी आ जाएगी और देश के मौजूदा मेडिकल सिस्टम के हिसाब से इसे संभाल पाना मुश्किल होगा।
बीसीजी ने ये अनुमान भारत में कोरोना के संक्रमण के फैलने के अब तक के डेटा के आधार पर लगाया है। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर ये रिपोर्ट बता रही है कि देश में कोरोना की पीक पर कब पहुंचेगा।
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बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप का आकलन
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप यानी बीसीजी के चार्ट की मानें तो किस देश में कब लॉक डाउन किया गया। कब वहां कोरोना के मामले पीक पर पहुंचे। कब वहां आंशिक तौर पर लॉकडाउन को हटाना शुरु किया गया और कब कहां लॉकडाउन को पूरी तरह से हटाना सुरक्षित माना गया। इसमें इन सब का अनुमान लगाया गया है। जिस देश में मौजूदा वक्त में कोरोना के मामले पीक पर हैं उनमें अभी सिर्फ इटली है। जहां ये मामले 2 लाख के आंकड़े को छूने वाले हैं।
हालांकि उसकी आबादी के लिहाज़ से काफी मामले हैं। वहीं यूएस, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी और यूके जहां कोरोना सबसे ज़्यादा तबाही मचा रहा है। वहां भी अभी कोरोना अपनी पीक पर नहीं पहुंचा है। यहां अप्रैल के आखिरी हफ्ते और मई के तीसरे हफ्ते तक ये मामले अपनी पीक पर पहुंच सकते हैं।
लॉकडाउन से भारत ने कुछ वक्त खरीदा
बीसीजी के मुताबिक भारत ने कोरोना से निपटने के लिए जिस तरह वक्त रहते लॉकडाउन की घोषणा की उससे उसने इस बीमारी से निपटने के लिए कुछ वक्त ज़रूर खरीद लिया है। मगर बावजूद इसके भारत में कोरोना के मामले पीक पर ज़रूर पहुंचेंगे। और इस रिपोर्ट के मुताबिक जून के तीसरे हफ्ते तक भारत में कोरोना के मामले अपनी पीक पर होंगे और जून के आखिरी हफ्ते तक ही भारत लॉकडाउन हटाने की स्थिति में होगा।
भारत को पूरी आज़ादी पाने में पूरा साल भी गुज़र सकता है
मगर वो भी सिर्फ आंशिक तौर पर। जबकि हिंदुस्तान में पूरी तरह से लॉकडाउन हटाना सितंबर के दूसरे हफ्ते के बाद ही मुमकिन हो पाएगा। हालांकि भारत को कोरोना से पूरी तरह से आज़ादी पाने में ये पूरा साल भी गुज़र सकता है। हां मगर उससे पहले वैक्सीन आ गई तो ये बहुत बड़ी कामयाबी होगी।
बीसीजी के इसी चार्ट के दाईं तरफ आप देखेंगे तो पाएंगे कि कुछ लाल पीले और हरे रंग के निशान हैं। इसमें पहली लाइन में प्रति एक लाख मरीज़ों पर किस देश में कितने बेड हैं। ये दिखाया गया है। भारत के आगे इस लाल निशान को देखेंगे तो पता चलेगा कि इस मामले में भारत की हालत बेहद खराब है। वहीं रेस्पिरेट्री डिसीज़ के मामले में भारत अच्छे तरीके से हालात को संभाल रहा है।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की साख और विश्वसनीयता है
मगर देश में इस एपिडेमिक को संभालने की सलाहियत बाकी मुल्कों के मुकाबला ज़्यादा अच्छी नहीं है। आपको बता दें कि दुनिया में आंकड़ों के मामलों में बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक अपनी साख और विश्वसनीयता है। इसलिए उसकी बातों को तमाम एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिक भी गंभीरता से ले रहे हैं।
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