दुनिया में कोविड-19 से मौत का आंकड़ा ढाई लाख पार
दुनिया में सबसे अधिक 70 हजार मौतें अमेरिका में
वाशिंगटन : जॉन्स हॉपकिंस Johns Hopkins यूनिवर्सिटी के अनुसार कोरोना के कारण होने वाली मौतों की वैश्विक संख्या 2,50,000 से अधिक हो चुकी है।
वैश्विक आंकड़ा 2,51,510
Johns Hopkins विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में बताया गया कि मंगलवार सुबह तक वैश्विक स्तर पर मौत का आंकड़ा 2,51,510 था।
लोग जान जान गंवा रहे
Johns Hopkins के अनुसार वर्तमान में दुनिया में सबसे अधिक मौतें अमेरिका में हुई हैं। यहां 68,922 लोग इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं।
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Johns Hopkins डेटा के अनुसार, 20,000 से अधिक मौतों वाले अन्य देश की बात करें तो इटली में 29,079, यूके में 28,809, स्पेन में 25,428 और फ्रांस में 25,204 मौतें हो चुकी हैं।
मंगलवार की सुबह कोविड-19 मामलों की वैश्विक संख्या 35,82,469 थी।
अमेरिका 11,80,288 मामलों के साथ शीर्ष पर
Johns Hopkins के आंकड़ों के अनुसार संक्रमणों के मामलों की संख्या में अमेरिका 11,80,288 मामलों के साथ दुनिया में शीर्ष स्थान पर है।
इसके बाद स्पेन (218,011), इटली (211,938), यूके (191,832), फ्रांस (169,583), जर्मनी (166,152), रूस (145,268), तुर्की (127,659) और ब्राजील (108,266) का स्थान रहा।
अमेरिकी सरकार की गलती
अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र की वेबसाइट पर हाल में अमेरिका में कोविड-19 महामारी के फैलाव की विश्लेषण रिपोर्ट जारी की गई, जो इस केंद्र की वरिष्ठ उप प्रमुख ऐनी शुशत आदि विशेषज्ञों ने लिखी है।
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रिपोर्ट के अनुसार यात्रियों के लगातार आने, बड़े पैमाने पर इकट्ठा होने, रोकथाम के कम होने और जांच के अपर्याप्त होने से वायरस अमेरिका में तेजी से फैलने लगा। हालांकि रिपोर्ट में सीधे गलती की बात नहीं कही गई, लेकिन इसमें प्रस्तुत सभी कारण अमेरिका सरकार की गलती से संबंधित हैं।
पहला कारण
पहला कारण है कि अमेरिका सरकार ने समय पर यात्रा पर प्रतिबंध नहीं लगाया, जिससे विदेशों से आने वाले मामलों की संख्या लगातार बढ़ी। दूसरा कारण है कि विभिन्न क्षेत्रों से आए लोगों ने बड़े मिलन समारोह में भाग लिया। तीसरा कारण है कि रोकथाम की कमी से वायरस नर्सिग संस्थान और अस्पताल जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों और न्यूयॉर्क जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में फैलने लगा। और चौथा कारण है कि महामारी के तेज फैलाव के दौरान वायरस की जांच मुश्किल हुई।
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