World Tuberculosis Day 2025: वैश्विक स्तर पर, टीबी अभी भी दुनिया की सबसे जानलेवा संक्रामक बीमारियों में से एक है. यह बीमारी जीवनभर बनी रह सकती है और मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है. क्षय रोग (टीबी) माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (MT) नामक जीवाणु के कारण होने वाला संक्रामक रोग है, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में गांठों (ट्यूबरकल्स) का निर्माण करता है. टीबी हवा के माध्यम से फैलती है, जब संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है. सही समय पर निदान और उपचार से टीबी का पूर्णतः इलाज संभव है, लेकिन इसके प्रति जागरूकता और सतर्कता आवश्यक है. आंकड़ों के अनुसार, हर साल 1.4 मिलियन मौतें टीबी के कारण होती हैं.
अब भी बनी हुई है चिंता का विषय
आज भी यह बीमारी मानव इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) के बाद सबसे ज्यादा जानलेवा संक्रामक रोगों में से एक है. इस बीमारी का संक्रामक स्वभाव, प्रतिरक्षा प्रणाली पर जटिल प्रभाव, दीर्घकालिक इलाज की आवश्यकता और हाल के वर्षों में मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट (MDR) टीबी और टीबी-एचआईवी महामारी के कारण, इसका उपचार और रोकथाम वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक चुनौती बनी हुई है.
पूरी दुनिया में टीबी की स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार पूरी दुनिया में हर दिन 4100 से अधिक लोग टीबी से अपनी जान गंवाते हैं और लगभग 28,000 लोग इस बीमारी से संक्रमित होते हैं. वर्ष 2000 से टीबी को समाप्त करने के लिए किए गए वैश्विक प्रयासों से अनुमानित 6.6 करोड़ लोगों की जान बचाई गई है. फिर भी, टीबी आज भी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारियों में से एक है.
भारत में टीबी की स्थिति
भारत में टीबी (तपेदिक) की स्थिति में हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है. 2015 से 2023 के बीच, भारत में टीबी मामलों की दर में 17.7% की कमी दर्ज की गई है, जो प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 237 से घटकर 195 हो गई है. इसी अवधि में, टीबी से होने वाली मौतों में 21.4% की कमी आई है. 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 28 मौतें होती थीं, जो 2023 में घटकर 22 रह गई हैं.
2023 में, भारत में अनुमानित 2.82 मिलियन नए टीबी मामले दर्ज किए गए, जो प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 199 की दर को दर्शाते हैं.
सरकार की रोकथाम को लेकर पहल
भारत सरकार ने राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत कई पहल की हैं. इसमें दवा प्रतिरोधी टीबी (DR-TB) के मरीजों के लिए उन्नत उपचार व्यवस्थाएं. कुपोषण, मधुमेह, एचआईवी और मादक द्रव्यों के सेवन जैसी स्थितियों से निपटने के लिए विशेष ध्यान.
टीबी निवारक उपचार (TPT) तक पहुंच का विस्तार, जिससे लगभग 15 लाख लाभार्थियों को लाभ मिला है.
हालांकि, टीबी का पूर्ण उन्मूलन अभी भी एक चुनौती बना हुआ है और इसके लिए निरंतर जागरूकता, समय पर निदान और प्रभावी उपचार आवश्यक हैं.
World Tuberculosis Day 2025 की थीम
हर साल World Tuberculosis Day के लिए एक विशेष थीम निर्धारित की जाती है. 2025 की थीम है: “Yes! We Can End TB: Commit, Invest, Deliver.” (“हां! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं: प्रतिबद्धता, निवेश, और समाधान”)
इसका उद्देश्य दुनिया को यह संदेश देना है कि सामूहिक प्रयास, उचित निवेश और ठोस कार्रवाई के माध्यम से टीबी का उन्मूलन संभव है.
WHO के Global tuberculosis report 2024 के अनुसार, 2023 में वैश्विक स्तर पर 10.8 मिलियन नए टीबी मामले दर्ज किए गए, जो प्रति 100,000 जनसंख्या पर 134 की दर को दर्शाते हैं. टीबी से संबंधित 1.25 मिलियन मौतें हुईं, जो एचआईवी/एड्स से होने वाली मौतों की संख्या से लगभग दोगुनी है. दूसरी ओर टीबी को पूरी तरह खत्म करना अभी भी चुनौती बना हुआ है, लेकिन कोविड-19 महामारी (2020-2021) के बाद कुछ अच्छे बदलाव देखने को मिले हैं:
- हर साल टीबी के नए मामलों की संख्या स्थिर हो रही है.
- टीबी से मरने वालों की संख्या लगातार घट रही है.
- अफ्रीका और यूरोप में टीबी को खत्म करने की दिशा में अच्छी प्रगति हुई है.
- 2023 में टीबी के नए मामलों की रिपोर्टिंग अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई.
- ड्रग-संवेदनशील टीबी (Drug-Susceptible TB) के इलाज की सफलता दर अच्छी बनी हुई है.
- ड्रग-प्रतिरोधी टीबी (Drug-Resistant TB) के मामलों में सुधार जारी है. एचआईवी संक्रमित लोगों और टीबी
- मरीजों के घरवालों को इस बीमारी से बचाने के लिए इलाज की सुविधा बेहतर हो रही है.
क्यों मनाया जाता है World Tuberculosis Day?
1882 में, जर्मन वैज्ञानिक डॉ. रॉबर्ट कोच ने माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की खोज की, जिससे टीबी का कारण समझ में आया. यह खोज बर्लिन, जर्मनी में की गई थी. इस महत्वपूर्ण खोज की उपलक्ष्य में, 1982 में इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस एंड लंग डिजीज (IUATLD) ने 24 मार्च को World Tuberculosis Day के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया.
टीबी उन्मूलन के लिए वैश्विक प्रयास
WHO और संयुक्त राष्ट्र (UN) के सभी सदस्य देशों ने एंड टीबी रणनीति (End TB Strategy) और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को अपनाया है, जिसका उद्देश्य 2030 तक टीबी से होने वाली मौतों में 90% और संक्रमण दर में 80% की कमी लाना है. वहीं, 2025 तक के मध्यवर्ती लक्ष्यों में मौतों में 75% और संक्रमण दर में 50% की गिरावट का लक्ष्य रखा गया है.