कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं हो रहा Myopia का शिकार, आज ही करें बचाव

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Myopia : कोरोना महामारी के बाद बच्चे मनोरंजन के लिए मात्र इंडोर गेम्स पर डिपेंड होकर रहे गए हैं, वे कभी फोन तो कभी कम्प्यूटर की स्क्रीन के सामने ही मौजूद रहते हैं. इसका असर सामान्य तौर पर भले ही आपको नजर न आ रहा हो लेकिन इसका असर उनकी सेहत पर काफी नकारात्मक प्रभाव डालने वाला है और इसका सबसे ज्यादा असर उनकी आंखो पर पड़ने वाला है, जो बच्चों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. इन नकारात्मक प्रभावों में ही शामिल है मायोपिया के लक्षण, जो उनके जीवन को काफी प्रभावित कर सकता है. आइए जानते है, क्या है मायोपिया और कैसे कर सकते है इससे बचाव…….

क्या होता है मायोपिया ?

मायोपिया एक ऐसी कंडिशन है, जिसमें व्यक्ति को दूर की चीजें देखने मे तकलीफ होने लगती है. इससे नियरसाइटेडनेस भी कहा जाता है. इस कंडिशन में दूर की चीजों पर आंखें ठीक से फोकस नहीं कर पाती है और धुंधली दिखने लगती हैं. यह आंखों में प्रकाश के ठीक से रिफ्लेक्ट नहीं होने से होता है, इसलिए कुछ भी दिखाई नहीं देता है. यह अक्सर बचपन में शुरू होता है और टीनेज में बेहतर होने लगता है.

क्या होते है मायोपिया के लक्षण ?

  1. सिर में दर्द होना
  2. दूर की चीजें देखने में दिक्कत होना और पास की चीजें साफ दिखना
  3. आंखो पर जोर पड़ना
  4. दूर की चीजों को देखने के लिए आंखो को स्कवींट करना
  5. टीवी आदि देखते समय काफी पास बैठना
  6. अधिक पलकें झपकाना
  7. बार – बार आंखों को रगड़ना

क्यों बढ़ रहा है मायोपिया का खतरा

बच्चों की जीवनशैली में काफी बदलाव हुआ है, जिससे वे बाहर खेलना कम पसंद करते हैं. अधिकांश समय फोन या कंप्यूटर की स्क्रीन पर बिताते हैं. इस लाइफस्टाइल से बच्चों में मायोपिया का खतरा बहुत बढ़ जाता है क्योंकि इससे उनकी आंखें सबसे अधिक प्रभावित होती हैं. इसलिए, अपने बच्चों में मायोपिया होने का खतरा कम करने के लिए कुछ आदतों का पालन करना महत्वपूर्ण है.

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Myopia से ऐसे करें बचाव

  • स्क्रीन पर समय कम करने का प्रयास करें. यदि आपका बच्चा फोन, टीवी या कंप्यूटर पर अधिक समय बिताता है, तो कोशिश करें कि उनके स्क्रीन समय को कम करने के लिए कोई रूल बनाएं.
  • बाहर खेलने से आपके बच्चे को मायोपिया से बचाव मिल सकता है, यही कारण है कि आपका बच्चा हर दिन कुछ समय बाहर खेलने जाएगा.
  • अंधेरे या कम रोशनी में किताब पढ़ने या फोन का इस्तेमाल करने से बचें. बच्चों की आंखें इससे स्ट्रेन हो सकती हैं.
  • आंखों की देखभाल नियमित रूप से करें, इससे आंखों में होने वाली समस्याओं को पहले से ही पता लगाकर उनका इलाज कर सकते हैं.
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