चीन सीमा पर भारत ने बढ़ाई सैन्य ताकत, ब्रह्मोस और होवित्जर तैनात

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भारत अब 1962 का हिंदुस्तान नहीं रह गया है, जब चीन की सीमा पर उसकी डिफेंस लाइन कमजोर थी। तब सुदूर चौकियों पर नाममात्र सैनिक तैनात थे और फॉरवर्ड पोस्ट्स से को-ऑर्डिनेशन भी कमजोर था। अब यह बीते दौर की बात लगती है और चीन से लगती लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक की वास्तविक सीमा रेखा पर भारतीय सेना(Indian army) पूरी तरह मुस्तैद नजर आती है। सिक्किम-भूटान और तिब्बत के बीच स्थित डोकलाम पठार पर चीन और भारत के सैनिक 73 दिनों तक डटे रहे थे। अब इस मसले का पटाक्षेप हो चुका है, लेकिन भारतीय सेना अब भी पूरी मुस्तैदी से तैनात है।

4,057 किलोमीटर लंबी सीमा पर सैन्य मजबूती बढ़ा रहा भारत

यहां भारतीय सैनिकों के सामने कठिन चुनौतियां हैं। कमजोर सड़कें, पुलों और इंटर-वैली कनेक्टिविटी कमजोर होने के साथ ही हथियारों, हेलिकॉप्टरों, ड्रोन्स और विशेष हथियारों के स्टॉक तक की कमी है। इसके बाद भी किसी ऑपरेशन के लिए सैनिकों की तैयारी और उनका मनोबल ऊंचा है। यही नहीं चीन से लगती 4,057 किलोमीटर लंबी वास्तविक सीमा रेखा पर भारत तेजी से अपनी सैन्य(Indian army) मजबूती बढ़ाने में जुटा है।

अरुणाचल में उतारे ब्रह्मोस और होवित्जर मिसाइल

भारत ने पूर्वी लद्दाख और सिक्किम में टी-72 टैंकों की तैनाती की है, जबकि अरुणाचल में ब्रह्मोस मिसाइलों और होवित्जर तोपों की तैनाती कर चीन के सामने शक्ति प्रदर्शन किया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर में सुखोई-30 एमकेआई स्क्वेड्रन्स को भी उतारा गया है। बीते साल सर्दियों में चीनी सैनिकों के उत्तरी डोकलाम डेरा जमाने की घटना के बाद से भारतीय सेना ने यह बड़ा बदलाव और तैनाती की है।

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अकेले अरुणाचल में 50,000 सैनिक

अकेले अरुणाचल की रक्षा के लिए 4 इन्फ्रेंट्री माउंटेड डिविजन्स को तैनात किया गया है। हर इन्फेंट्री में 12,000 सैनिकों को रखा गया है। इसके अलावा 2 डिविजंस को रिजर्व रखा गया है। खासतौर पर तवांग में, जिसे चीन दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है, सैनिकों की तैनाती पहले से कहीं अधिक है। किबिथू-वालॉन्ग फ्रंटियर में तैनात एक सीनियर अफसर ने कहा, ‘हमारा प्राथमिक काम एलएसी पर शांति और स्थिरता बनाए रखना है और शांति के दौर में पर्वतीय चोटियों पर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना है।’

2017 में चीन ने 426 बार की घुसपैठ

विस्तारवादी और आक्रामक चीन अकसर सीमा पर घुसपैठ कर जोर-आजमाइश करता रहता है। बीते साल की बात करें तो चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने 426 बार घुसपैठ की थी। इनमें से करीब आधी बार दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ गए थे। 2016 में यह आंकड़ा 273 का था, लेकिन बीते सालों में चीन की आक्रामकता लगातार बढ़ती जा रही है।

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