जानें, कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव

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रामनाथ कोविंद और मीरा कुमार, ये दो नाम इस बार राष्ट्रपति चुनाव के लिये मैदान में हैं। एक एनडीए की तरफ से दूसरा यूपीए की तरफ से। एक के खेमे में 35 से अधिक दल, तो दूसरे के पक्ष में 17 से अधिक पार्टियां। दोनों तरफ से दलित कार्ड खेला जा रहा है। अब ऐसे में ये समझना बहुत जरुरी है कि आखिर एनडीए को इतनी मजबूत क्यों माना जा रहा है और साथ ही राष्ट्रपति पद की दावेदारी में एनडीए इतनी मजबूत क्यों नजर आ रही है? आपको कुछ आंकड़े बता रहे हैं जिनसे आप भी समझ जाएंगे कि ऐसा आखिर क्यों हो रहा है।

लोकसभा सदस्य

लोकसभा में 543 सदस्य हैं। इसमें दो सीट (अनंतनाग और गुरदासपुर) खाली है। बीजेपी समर्थित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(एनडीए) के 336 सदस्य हैं और उसे लोकसभा में बहुमत हासिल है। कांग्रेस समर्थित संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(यूपीए) के 49 सांसद हैं और बीजेपी-विरोधी पार्टियों के सदस्यों की संख्या 85 है। अब आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि लोकसभा में एनडीए का पलड़ा भारी है और पूरण बहुमत में होने की वजह से कोई डर नहीं है।

राज्यसभा सदस्य

राज्यसभा में फिलहाल 243 सदस्य हैं। इनमें 12 सदस्य मनोनीत हैं और इस वजह से राष्ट्रपति के चुनाव में उन्हें वोट डालने की अनुमति नहीं है। राज्यसभा के शेष 231 सदस्यों में एनडीए के 70, यूपीए के 65, बीजेपी विरोधी खेमे के 67 सदस्य हैं जबकि तटस्थ सदस्यों की संख्या 29 है।

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एनडीए राज्यसभा में अल्पमत में है। एनडीए हालांकि कि 49 हजार या कह लें 30 फीसद वोटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन राज्यसभा में बीजेपी-विरोधी पार्टियां बहुमत में हैं। लेकिन इससे एनडीए पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि लोकसभा के कुल वोट राज्यसभा से 2.35 गुना ज्यादा हैं। अगर एक साथ जोड़कर देखें तो एनडीए संसद के दोनों सदन(लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचकों के बीच 53 फीसद वोटों के साथ सबसे आगे है।

राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल के जरिए होता है और इस निर्वाचक मंडल में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों की विधानसभा के सदस्य शामिल होते हैं तो आइए जानते हैं कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव की प्रकिया और कितने लोग करते हैं वोटिंग साथ ही किस राज्य में हैं वोटों की सबसे ज्यादा और कम कीमत

राष्ट्रपति चुनाव 2012  में कितने लोग वोटिंग करेंगे
लोकसभा सांसद – 543
राज्यसभा सांसद – 231
देश के कुल विधायक – 4,120
कुल वोटरों की संख्या – 4,896
कुल 4,120 विधायकों के वोटों की संख्या – 5,49,474
कुल 776 सांसदों के वोटों की संख्या- 5,49,408

एक विधायक की कीमत : किस राज्य में सबसे ज्यादा
उत्तर प्रदेश – 208
तमिलनाडु – 176
झारखंड – 176
महाराष्ट्र – 176
बिहार – 173
केरल – 152
प. बंगाल – 151
गुजरात – 147

जिन राज्यों में एक विधायक की कीमत 10 से कम
सिक्किम – 7
अरुणाचल प्रदेश – 8
मिजारेम – 8
नागालैंड – 8

दिल्ली के एक विधायक की कीमत – 58
सबसे अधिक वोट वाले राज्य
यूपी – 83,824
महाराष्ट्र – 50,400
प. बंगाल – 44,304

2012  में चुनाव नतीजे
प्रणब मुखर्जी को 7,13,763 मत मिले
पीए संगमा को 3,15, 987 मत मिल

वोटों का कैसे होता है निर्धारण
राष्ट्रपति चुनाव में देश के सभी निर्वाचित सांसद और विधायक वोट देते हैं। सांसदों और विधायकों के वोटों की कीमत तय की जाती है।

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कैसे होती है वोटों की कीमत तय?
उदाहरण के तौर पर – आंध्र प्रदेश की कुल जनसंख्या (1971 की जनगणना पर आधारित) – 4,35,02,708
वहां एक विधायक के वोट की कीमत निकालने के लिए आंध्र प्रदेश विधानसभा की जनसंख्या को डिवाइड करेंगे कुल विधायकों की संख्या (294) से और इसे 1000 से गुणा करेंगे। इसका नतीजा निकलेगा 148।

एक एमपी के वोट की कीमत एक एमपी के वोट की कीमत निकालने के लिए सभी राज्यों के विधायकों के वोट को जोड़कर उसे लोकसभा के निर्वाचित 543 और राज्यसभा के निर्वाचित 231 सदस्यों से डिवाइड किया जाता है।

चुनाव की कुछ खास बातें
– वोटिंग गुप्त बैलेट के जरिए होती है
– 1952 में एक एमपी के वोट की कीमत 494 थी
– राष्ट्रपति पद के चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों को कम से कम 50 सांसद या विधायकों की ओर से अनुमोदन मिलना चाहिए। इसके लिए जमानत राशि 15 हजार रुपये की होती है।
– राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर होते हैं।

FORMULA

एक विधायक के वोट की कीमत= राज्य की जनसंख्या (1971 की जनगणना के मुताबिक) / राज्य के कुल विधायक X  1000

सांसद के वोट की कीमत = देश भर के विधायकों के वोट का योग / लोकसभा सदस्यों की संख्याराज्य सभा सदस्यों की संख्या    

 

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