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वाराणसी में भूजल संकट गहराया, कई इलाकों में जलस्तर गिरा

वाराणसी: काशी में भूजल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है, जिससे शहर और आसपास के कई इलाकों में जल संकट की आशंका बढ़ गई है. भूगर्भ जल विभाग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 के बीच शहर में जलस्तर सवा मीटर तक नीचे चला गया, जबकि कुछ ब्लॉकों में यह गिरावट साढ़े तीन मीटर तक पहुंच गई है.
शहर को अब डार्क जोन में रखा गया है, जबकि आराजीलाइन और हरहुआ को अति संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है. वहीं, काशी विद्यापीठ, पिंडरा और सेवापुरी संवेदनशील श्रेणी में हैं. सबसे खराब स्थिति चिरईगांव ब्लॉक की है. केवल चोलापुर और बड़ागांव ब्लॉक को सुरक्षित माना गया है, हालांकि यहां भी जलस्तर में दो मीटर तक की गिरावट दर्ज की गई है.

जलस्तर गिरने की मुख्य वजहें

वाराणसी में भूजल संकट को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि जल दोहन बढ़ने के साथ-साथ हाल ही में बिछाई गई गहरी सीवर लाइनों ने भी जलस्तर गिराने में अहम भूमिका निभाई है. इन सीवर लाइनों के कारण जलस्तर की पहली परत (50-60 फीट गहराई) से पानी व्यर्थ बहा दिया गया.
इसके अलावा, हरहुआ ब्लॉक में निर्माण कार्यों की अधिकता के कारण भूजल का अत्यधिक दोहन हो रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, आराजीलाइन में 2023 में मानसून से पहले 14.74 मीटर की गहराई पर भूजल था, जो 2024 में बढ़कर 18.07 मीटर पर पहुंच गया. इसी तरह, सेवापुरी में 10.93 मीटर से बढ़कर 11.86 मीटर हो गया.

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शहर के कई इलाके जल संकट की ओर

भूजल स्तर गिरने का असर शहर के मलदहिया और कलेक्ट्री फॉर्म इलाकों में भी देखा गया है. मलदहिया में 2023 में मानसून से पहले भूजल स्तर 26.85 मीटर पर था, जो 2024 में 28.50 मीटर पर पहुंच गया. मानसून के बाद यह गिरावट 3.05 मीटर तक दर्ज की गई. इसी तरह, कलेक्ट्री फॉर्म चौराहे के पास कृषि भवन में 2023 में मानसून से पहले 8.80 मीटर पर जलस्तर था, जो 2024 में 11.10 मीटर हो गया.

जलस्तर गिरने के मुख्य कारण

  • कम वर्षा और अत्यधिक जल दोहन
  • आबादी वृद्धि और निर्माण कार्यों में वृद्धि
  • औद्योगिक और कृषि गतिविधियों में जल की अधिक खपत
  • वन क्षेत्र में कमी और जल स्रोतों पर अतिक्रमण
  • अनियंत्रित बोरिंग और कंक्रीट संरचनाओं का बढ़ता दायरा
  • जलस्तर बचाने के लिए जरूरी कदम
  • वर्षा जल संचयन और वाटर रिचार्ज सिस्टम अपनाना
  • नदियों, तालाबों और जल स्रोतों की सफाई व पुनर्जीवन
  • पारंपरिक जल स्रोतों जैसे कुओं और बावड़ियों का संरक्षण
  • स्थानीय प्रजातियों के वृक्षारोपण को बढ़ावा देना
  • अतिक्रमण हटाकर जल संरक्षण संरचनाओं को सुरक्षित रखना

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भूगर्भ जल विभाग की वरिष्ठ हाइड्रोजियोलॉजिस्ट डॉ. नम्रता जायसवाल का कहना है कि “जब तक हम पानी की एक-एक बूंद का संरक्षण नहीं करेंगे, जलस्तर को सुधारने में कठिनाई आएगी. जल स्तर बढ़ाने के लिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है.”

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