पाकिस्तान में बजा आम चुनाव का बिगुल
पाकिस्तान में आम चुनावों का बिगुल बज गया है। पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होने है। इसी के साथ चर्चा शुरु हो गई है कौन संभालेगा पाकिस्तान की सत्ता। भारत में 2019 की चुनावी दस्तक के बीच पड़ोसी पाकिस्तान में आम चुनावों की रणभेरी बज गई है। इसी 25 जुलाई को वहां आम चुनावों की घोषणा कर दी गई है। पाकिस्तान में ‘लोकतंत्र’ के बारे में बस इतना ही कहा जा सकता है कि लगातार दूसरी बार वहां की निर्वाचित सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने जा रही है।
फौजी बूटों के आगे रौंदा नहीं जा सके
यानी कि हमेशा फौजी बूटों की धमक के साये में जीने वाले पाकिस्तान की सरजमीं ने पिछला एक दशक लोकतंत्र की सरपरस्ती में गुजारा है। हालांकि यह कहना कोई नाफरमानी नहीं होगी कि वहां का लोकतंत्र अभी इस कदर जवां नहीं हुआ कि उसे फौजी बूटों के आगे रौंदा नहीं जा सके। हालांकि फौजी हुक्मरानों के साये में जीने को अभिशप्त पाकिस्तान में लोकतंत्र के नाम पर जिनको चुना जाता रहा है और जिनका चुना जाएगा, उनमें से अधिकांश हुक्मरान परिवारवाद (Dynasty) की ही देन होंगे।
Also Read : भाजपा के लिए बुरी खबर, कंवर हसन ने दिया RLD को समर्थन
उनकी रगों में भी वही सामंती खून होगा जिनकी चक्की में आम रियाया बरसोंबरस से पिसती रही है। अपने बेटे बिलावल भुट्टो के साथ विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी(पीपीपी) के रहनुमा हैं। इसको सिंध के लरकाना जिले का सियासी घराना कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जरदारी और भुट्टो परिवार वहीं से ताल्लुक रखते हैं। आसिफ जरदारी की पत्नी बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहीं। आसिफ जरदारी राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचे।
पंजाब के जाट उमरा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं
बेनजीर के पिता जुल्फिकार अली भुट्टो भी प्रधानमंत्री रहे। बाद में उनको फौजी हुकूमत ने फांसी दे दी। बेनजीर की 2007 में हत्या कर दी गई। 2008-13 तक पीपीपी सत्ता में रही। अब पीपीपी एक बार फिर सत्ता की राह देख रही है, हालांकि बिलावल भुट्टो सियासत में अभी नए हैं और पिता की सरपरस्ती में ही आगे बढ़ रहे हैं। पंजाब के जाट उमरा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग(नवाज) यानी पीएमएल(एन) के मुखिया हैं। 2013 में सत्ता में आकर तीसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने।
नवाज शरीफ को दुश्मन नंबर एक मानते हैं
हालांकि ‘पनामा गेट’ में नाम आने के कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा सत्ता से बेदखल कर दिए गए और चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया। उनकी बेटी मरियम को सियासी वारिस माना जा रहा था लेकिक पनामा गेट में लगे आरोपों के कारण उनका भविष्य अधर में है। लिहाजा नवाज को अपने छोटे भाई और पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ को पार्टी की कमान देनी पड़ी है और चुनावों में पार्टी के नेता भी वही होंगे। क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ(पीटीआई) पार्टी के नेता हैं। हालांकि अभी उन्होंने अपना सियासी वारिस घोषित नहीं किया है लेकिन इस बात की संभावना मानी जाती है। कि आने वाले निकट भविष्य में वह बड़ी सियासी शख्सियत बनकर उभरेंगे। कहा जाता है कि सेना से उनके रिश्ते करीबी हैं और नवाज शरीफ को दुश्मन नंबर एक मानते हैं। पनामा गेट मामले में इन्होंने भी नवाज शरीफ के खिलाफ याचिका दायर की थी।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)