डॉ़ बीरबल झा बने ‘लीविंग लेजेंड्स ऑफ मिथिला’

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बिहार के मिथिला की सांस्कृतिक पहचान ‘पाग’ को फिर से पहचान दिलाने के लिए ‘पाग बचाओ अभियान’ और गुरुग्राम के एक स्कूल में छात्र प्रद्युमन हत्या मामले में मुफ्त कानूनी सहायता मुहैया कराने वाली संस्था ‘मिथिलालोक फाउंडेशन’ के अध्यक्ष डॉ. बीरबल झा को ‘मिथिला के आधुनिक दिग्गज’ की सूची में शामिल किया गया है।

‘द लीविंग लेजेंड्स ऑफ मिथिला’ नामक पुस्तक में मिथिला के विभिन्न क्षेत्रों में सफल और किसी भी क्षेत्र में प्रतिनिधित्व करने वाली 25 शख्सियतों और उनके संघर्ष के बारे में बताया गया है। इस पुस्तक के लेखक विवेकानंद झा ने मिथिला समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का प्रयास भी किया है।

इस पुस्तक में शामिल 25 दिग्गजों में डॉ़ झा के अलावा जगद गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ़ जगन्नाथ मिश्रा, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा, पद्मभूषण डॉ. विंदेश्वर पाठक, पद्मश्री शारदा सिन्हा और अभिनेता नरेंद्र झा जैसे नाम शामिल हैं।

लेखक ने अपनी पुस्तक में न सिर्फ सभी प्रसिद्घ लोगों के नाम को सम्मिलित किया है बल्कि समुदाय और राष्ट्र के लिए उनकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए इन्हें समाज के लिए आदर्श बताया है। लेखक के मुताबिक, प्राचीन काल से ही मिथिला की भूमि सांस्कृतिक लोकाचार की प्रतीक रही है। उन्होंने लिखा कि जब पश्चिमी सभ्यता प्रारंभिक अवस्था में थी तब मिथिला में बहुत पहले ही आध्यात्मिक प्राप्ति के ज्ञान के असंख्य दर्शनशास्त्र सफलतापूर्वक अपनी जड़ें जमा चुके थे।

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उन्होंने बताया, “इस पुस्तक के जरिए मैंने मिथिला और मिथिलावासियों की महिमा को विश्व समुदाय के साथ साझा करने का प्रयास किया है, जिससे देश और दुनिया को पता चल सके कि भारत के बिहार राज्य के एक हिस्से की संस्कृति, विद्वता और विरासत पारंपरिक रूप से कितनी समृद्घ है।”

लेखक ने किताब में डॉ. झा के बारे में लिखा कि बचपन से ही माता-पिता की कमी महसूस करने वाले झा ने अपनी जिंदगी में बदलाव लाने के लिए विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ शिक्षा और उद्यमशीलता के जरिए हरसंभव कोशिश की और अपनी मेहनत से आज वह न केवल चर्चित हुए बल्कि कई युवाओं के प्रेरणस्रोत बने हैं।

पुस्तक में लिखा गया है, “एक समय में जब युवाओं के लिए मनपसंद करियर हासिल करना कठिन और खर्चीला था, उस समय में उन्होंने कठिन मेहनत और अपनी क्षमता को साबित किया। डॉ. झा को न सिर्फ अमेरिका आधारित विश्व भाषाविद और विश्वकोष विकीपीडिया के लेखकों की सूची में शामिल किया गया बल्कि उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया गया।”

इधर, इस पुस्तक में नाम शामिल होने पर बीरबल झा ने कहा कि उनका उद्देश्य जन्मस्थान से लेकर पूरे क्षेत्र में सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा, “मिथिलालोक फाउंडेशन का गठन ही मिथिला के सर्वागीण विकास और उसके प्रचार-प्रसार के लिए यथासंभव प्रयास करना है।”

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झा ने कहा कि ‘ब्रिटिश लिंग्वा’ के तहत सभी के लिए अंग्रेजी की अपील का दृष्टिकोण बनाया गया है, जिससे लोगों में आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति जागृत हो सके।झा को हाल ही में ‘ग्रेट पर्सनैलिटी अफ इंडिया’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। डॉ़ झा को इससे पहले स्टार ऑफ एशिया, पर्सन ऑफ द इयर, पाग पुरुष, कीर्ति पुरुष जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

‘लीविंग लेजेंड्स ऑफ मिथिला’ पुस्तक के लेखक विवेकानंद झा बिहार के मधुबनी जिले के मधेपुर के रहने वाले हैं और पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। झा 14 साल तक अध्यापन के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं पर भी लिखते रहे हैं। ‘हां, मैं बिहारी हूं’ पुस्तक के लिए चर्चित विवेकानंद झा वर्तमान में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर-स्ट्रेटेजिक मार्केटिंग एंड पब्लिक रिलेशंस के पद पर इन्नोवेटिव सल्यूशंस प्रा़ लि़, अहमदाबाद (गुजरात) में कार्यरत हैं तथा कई पुस्तकें भी लिख चुके हैं।

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