…तो क्या क्रॉस वोटिंग करेंगे शिवपाल समर्थक विधायक

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उत्तर प्रदेश में एसपी के गठजोड़ से राज्य सभा की एक सीट जीतने की उम्मीद लगाए बैठी बीएसपी के रास्ते में बीजेपी आती दिख रही है। इससे आगामी चुनाव में बीते साल गुजरात से कांग्रेस के अहमद पटेल के राज्य सभा में चुने जाने के समय हुई जोरदार राजनीतिक उठापठक जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।

एक सीट जीतने के लिए 37 विधायकों की जरूरत है

बीएसपी का खेल बिगाड़ने के लिए बीजेपी एसपी में अंदरुनी कलह का लाभ उठाने की कोशिश में है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी शिवपाल यादव और उनके समर्थकों के साथ बीजेपी संपर्क में है ताकि उनके वोट हासिल किए जा सकें। ऐसा होता है तो बीएसपी को करारा झटका लग सकता है।उत्तर प्रदेश में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के 324 विधायक हैं और राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 विधायकों की जरूरत है।

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पार्टी राज्य से आठ राज्य सभा सीटें हासिल कर सकती है और इसके बाद उसके पास 28 वोट बच जाएंगे। हालांकि, उत्तर प्रदेश में बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है कि पार्टी राज्य सभा की नौवीं सीट जीतने की पूरी कोशिश करना चाहती है। इसके लिए बीजेपी सभी तीन निर्दलीय विधायकों को अपने पक्ष में लाने की रणनीति बना रही है। इन विधायकों में मायावती के विरोधी माने जाने वाले राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह और अमनमणि त्रिपाठी शामिल हैं।

समाजवादी पार्टी या बीएसपी को समर्थन दिया था

इसके अलावा समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव और उनके वफादार विधायकों से भी बीजेपी यह सुनिश्चित करने के लिए बातचीत कर रही है कि वे बीएसपी को वोट न दें। इसके साथ ही बीजेपी निषाद पार्टी के एक विधायक और राष्ट्रीय लोक दल के एक विधायक को भी अपने साथ लाना चाहती है। इन दोनों दलों ने हाल के उप चुनावों में समाजवादी पार्टी या बीएसपी को समर्थन दिया था।

उत्तर प्रदेश में बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘सभी तीन निर्दलीय विधायकों, शिवपाल यादव और समाजवादी पार्टी के कुछ विधायकों के साथ ही निषाद पार्टी के विधायक ने पिछले वर्ष राष्ट्रपति पद के चुनाव में बीजेपी के लिए वोट दिया था। रामनाथ कोविंद को एनडीए के विधायकों के 324 वोट मिलने की जगह क्रॉस-वोटिंग के कारण 335 वोट मिले थे। इस बार राज्य सभा की नौवीं सीट के लिए चुनाव में भी ऐसा ही होने की उम्मीद है।’

अंबेडकर के पास अभी 36 विधायक है

उन्होंने बताया कि पार्टी की रणनीति यह सुनिश्चित करेगी की बीएसपी के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर को 37 विधायकों के वोट न मिलें। बीजेपी नेता ने कहा, ‘नरेश अग्रवाल के बेटे और समाजवादी पार्टी के विधायक के बीजेपी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने का फैसला करने के बाद अंबेडकर के पास अभी 36 विधायक हैं। मतदान का दिन नजदीक आने के साथ यह गिनती और गिरेगी। इसके बाद सेकेंड प्रेफरेंस के वोट महत्वपूर्ण हो जाएंगे और हमारा उम्मीदवार जीत जाएगा।’

बीएसपी का आंकड़ा घटकर 36 रह गया है

समाजवादी पार्टी के पास उत्तर प्रदेश में 47 विधायक हैं और पार्टी इनमें से 37 विधायकों के साथ अपनी उम्मीदवार जया बच्चन की जीत पक्की कर सकती है और बाकी के 10 वोट बीएसपी को दे सकती है। बीएसपी के पास 19 विधायक हैं। कांग्रेस ने भी अपने सात विधायकों का समर्थन बीएसपी को देने का वादा किया है। इससे बीएसपी के पास 36 वोट होते हैं। बीएसपी को 37 का आंकड़ा हासिल करने के लिए राष्ट्रीय लोक दल के विधायक का वोट मिलने की उम्मीद थी। लेकिन सोमवार को समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल के बीजेपी में शामिल होने के बाद समाजवादी पार्टी के विधायक उनके बेटे ने बीजेपी को अपना वोट देने की घोषणा की है। इससे बीएसपी का आंकड़ा घटकर 36 रह गया है।

NBT

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