दुर्गाकुंड मंदिर में मोबाइल, कैमरा, अस्त्र-शस्त्र पर लगा बैन

सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रबंधन ने लिया निर्णय

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वाराणसी। धर्म और आस्था की नगरी में अति प्राचीन दुर्गा मंदिर में अब मोबाइल, कैमरा, पेन, इलेक्ट्रानिक उपकरण नहीं जाएगा। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है। मंदिर परिसर में निःशुल्क लॉकर की व्यवस्था की गई ताकि दर्शनार्थियों को परेशानी न झेलनी पड़े। मंदिर प्रबंधन के सदस्यों की आज बैठक बुलाई गई थी। इसमें सदस्यों ने कहा कि मंदिर की मर्यादा, श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा व उनके हित सर्वोपरी हैं। इसको देखते हुए मंदिर परिसर के अंदर मोबाइल, इलेक्ट्रानिक उपकरणों को ले जाना प्रतिबंधित किया गया है।

मंदिर प्रबंधन की तरफ से दिया गया निशुल्क लॉकर

मंदिर प्रबंधक बेचन त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था ध्यान में रखते हुए लॉकर में मोबाइल सहित अस्त्र-शस्त्र रखने की व्यवस्था की गई है और यह बिल्कुल निशुल्क है किसी भी प्रकार का दर्शनार्थियों या अन्य लोगों से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि मोबाइल मंदिर के अंदर आने के बाद दुर्व्यवस्था फैलती थी लोगों को मना करने पर बुरा भी लगता था।

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सुरक्षा की दृष्टि से उठाया गया कदम

महंत परिवार के प्रेम शंकर त्रिपाठी ने बताया कि यह कदम सुरक्षा की दृष्टि से उठाया गया है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि पुलिस, पत्रकार और मंदिर परिवार को छोड़कर किसी को भी मंदिर परिसर के अंदर मोबाइल अस्त्र-शस्त्र ले जाना वर्जित किया गया है।मीटिंग में महंत पं. राजनाथ दुबे, पं. कौशलपति द्विवेदी, पं. वेचन त्रिपाठी, पं. केवलकृष्ण द्विवेदी, पं. संजय दुबे, विकास दुबे, सोनू झा, पं. प्रेमशंकर त्रिपाठी, विश्वजीत दुबे समेत अन्य मौजूद रहे।

आदिकाल से विराजमान हैं मां कुष्मांडा

दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा का मंदिर काशी के पुरातन मंदिरों में से एक है। मां कुष्मांडा के विषय में कहा जाता है कि कैलाश से जब भगवान भेलेनाथ काशी आए उससे पहले से विराजमान हैं काशी में मां कुष्मांडा।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शुंभ निशुंभ का वध करने के बाद इसी जगह विश्राम किया था जिसके बाद से यह मान्यता है कि यहां मां साक्षात विराजतीं हैं।

 

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