अब सवारी पर होगी पढाई, उत्तराखंड में शुरू हुई ‘घोड़ा लाइब्रेरी’ ..

0

‘सब पढ़े – सब बढ़े’ का स्लोगन तो तब ही पूरा होगा जब शिक्षा हर किसी तक पहुंचेगी, सरकार के अथक प्रयास के बाद भी देश के कितने ही ऐसे हिस्से और वर्ग है जिनतक शिक्षा आज भी पहुंचाना किसी चैलेंज से कम नहीं है । लेकिन कहते है न ‘हिम्मत है मर्दा तो मदद है खुदा’ कुछ ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला है उत्तराखंड के नैनीताल जिले के कोटाबाग ब्लॉक से सामने आयी तस्वीरों में देखा जा सकता है । यहां मुश्किल हालात और मुश्किल रास्तों के रहने वाले बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने के लिए घोड़ा लाइब्रेरी की शुरूआत की गयी है ।

also read : प्राइमरी से बाहर हुए बीएड डिग्रीधारक, तो ट्वीटर ट्रेंड हुआ #NCTE

हिम्मोत्थान संस्था की तरफ से इस सराहनीय पहल की शुरूआत की गयी है । इसके तहत नैनीताल जिले के कोटाबाग ब्लॉक के कुछ दुर्गम इलाकों रहने वाले बच्चों तक किताबों को पहुंचाने का काम किया जाएगा । आपको बता दें कि, कोटाबाग के दुर्गम इलाकों में बीते कुछ समय से इस घोडा लाइब्रेरी को चलाया जा रहा है। इस लाइब्रेरी के माध्यम से नौनिहालों को अक्षर ज्ञान के साथ ही कई ज्ञानवर्धक जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही है, जो की उनकी आने वाले भविष्य को उज्जवल करने का काम करने वाली है।

कहानी-कविताएं और ज्ञानवर्धन किताबों से लैस हैं घोड़ा लाइब्रेरी

हिम्मोत्थान संस्था द्वारा संचालित घोड़ा लाइब्रेरी को कोटाबाग के दुर्गम पहाड़ी इलाकों जिनमें ग्राम बाघनी, छड़ा और जलना के युवाओं और स्थानीय शिक्षा प्रेरकों की सहायता से घोड़ा लाइब्रेरी की शुरूआत की गयी है । जिसके माध्यम से दुर्गम पर्वतीय इलाकों में “घोड़ा लाइब्रेरी” के जरिए किताबें पहुंचाकर, बच्चो तक शिक्षा की रौशनी पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है । इन किताबों में बच्चों के लिए कहानी-कविताएं के साथ – साथ ज्ञान वर्धन किताबों को भी शामिल किया गया है ।

सड़क न होते हुए भी घोड़े से पहुंचेगी शिक्षा

घोड़ा लाइब्रेरी की जानकारी देते हुए हिम्मोत्थान संस्था के शिक्षा प्रेरक सुभाष बधानी ने बताया कि, ‘आज भी कोटाबाग के कई दुर्गम ग्रामीण इलाके ऐसे हैं जहां राज्य बनने के इतने साल बाद भी मार्ग की स्थिति बेहद दयनीय है। जिसके चलते वहां रहने वाले नौनिहालों को शिक्षा के लिए कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिसको देखते हुए हिम्मोत्थान संस्था मुश्किल हालातों में भी बच्चों तक किताबें पहुंचाने का बीड़ा उठाया और सड़क न होते हुए घोड़े के जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुंचाई।

also read : independence day ऑफर में Vivo X90 Pro मिलेगा मुफ्त, जानें कैसे

बौद्धिक और रचनात्मक विकास में होगी वृद्धि

घोड़ा लाइब्रेरी की महत्तवता को बताते हुए बधानी बताया कि, पुस्तकें पहुंचाने के साथ ही उनकी ओर से चौपाल लगाकर नौनिहालों को अक्षर ज्ञान के साथ ही कई फिजिकल एक्टिविटीज भी कराई जाती है, जो उनके बौद्धिक विकास के साथ ही शारीरिक विकास दोनों के लिए बेहद कारगर सिद्ध होगी। इसके अलावा कहानी और चित्रों के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ाया जाता है जिससे उनका रचनात्मक विकास हो सके।

 

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More