ग्रीन कॉरिडोर के बाद अब शहीद पथ को किसान पथ से जोड़ने की योजना बने जा रही है. ऐसा अनुमान लगाया गया है कि ग्रीन कॉरिडोर का कम ढाई से तीन साल तक पूरा हो जाएगा. काम पूरे होते ही शासन से हरी झंडी मिलते ही शहीद पथ को किसान पथ से जोड़ने का काम शुरू कर दिया जाएगा. सात किलोमीटर के इस पैच के जुड़ने से बहुत लोगों को आराम हो जाएगा.
यह भी पढ़ें : ई-कॉमर्स ने बंद की इन सामानों की डिलीवरी
दर्जनों गावों का विकास तय
आइआइएम रोड से आने वाला व्यक्ति सीधे शहीद पथ होते हुए किसान पथ से जुड़ जाएगा, यही नहीं बाराबंकी, फैजाबाद, रायबरेली, कानपुर के लोग शहीद पथ से सीधे जुड़ सकेंगे. इसका ब्लूप्रिंट भी तैयार किया जा चुका है. इस नए प्रयास से दर्जनों गांवों का विकास तय है. शहीद पथ से किसान पथ के बीच करीब अस्सी हेक्टेअर जमीन किसानों से लखनऊ विकास प्राधिकरण लेगा. वर्तमान में अगर यह जमीन ली जाती है तो प्रति हेक्टेअर चार करोड़ मुआवजा देना होगा. हालांकि, इस प्रकिया में समय लगेगा, इसलिए आने वाले समय में मुआवजे की राशि व प्रोजेक्ट पर लागत बढ़नी तय है.
कॉरिडोर से शहर में ट्रैफिक होगा कम
डीएम एवं लविप्रा उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश शासन की मंशा को देखते हुए ग्रीन कारिडोर पर प्रोजेक्ट सलाहकार से लेकर जो काम होने हैं, उन पर हर सप्ताह समीक्षा बैठक कर रहे हैं. उद्देश्य है कि अक्टूबर 2021 से ग्रीन कारिडोर का काम शुरू किया जा सके. वहीं शहीद पथ से किसान पथ वाले रूट पर भी आने वाले चंद सालों में काम शुरू किया जा सकता है. क्योंकि कनेक्टिविटी बढ़ने के बाद ही लोग किसान पथ, शहीद पथ व ग्रीन कारिडोर से सीधे जुड़ पाएंगे और शहर के बीच का ट्रैफिक काफी कम हो जाएगा.
यह भी पढ़ें : WhatsApp की अगर नहीं मानी ये पॉलिसी तो नहीं कर पाएँगे इसे इस्तेमाल
कुछ इस तरह है ब्लूप्रिंट
शहीद पथ से किसान पथ जाने वाले बंधे के दाई तरफ 43.2 हेक्टेअर जमीन लेने का प्रस्ताव है। वहीं बाई तरफ 35.70 हेक्टेअर जमीन लेने की तैयारी है। मुआवजा वर्तमान समय में जमीन लेने पर चार करोड़ प्रति हेक्टेअर दिया जाएगा। वहीं अगर सड़क इस वर्ष एक किमी बनाई जाए तो पंद्रह करोड़ का खर्च आएगा। इस तरह जमीन तैयार करने में प्रति किमी खर्च आएगा 23.5 करोड़।
[better-ads type=”banner” banner=”100781″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]