भारतीय संस्कृति में हिंदू मान्यता के अनुसार सर्वविघ्नविनाशक अनन्तगुण विभूषित प्रथम पूज्यदेव भगवान श्रीगणेशजी की महिमा अपरम्पार है।
श्रीगणेशजी की श्रद्धा, आस्था, विश्वास के साथ की गई पूजा-अर्चना से जीवन में सुख, समृद्धि, खुशहाली का सुयोग बनता है। श्रीगणेश चतुर्थी तिथि के दिन की गई पूजा विशेष लाभकारी होती है।
प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि प्रत्येक मास में शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाने वाला वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत इस बार 20 सितंबर, रविवार को रखा जाएगा।
अधिक आश्विन शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि 19 सितंबर, शनिवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 5 बजकर 39 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 20 सितंबर, रविवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 2 बजकर 28 मिनट तक रहेगीमध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी तिथि का मान 20 सितंबर, रविवार को है, जिसके फलस्वरूप वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत इसी दिन रखा जाएगा।
इस दिन श्रीगणेश भक्त व्रत-उपवास रखकर श्रीगणेशजी की विधि-विधानपूर्वक व्रत-उपवास रखकर श्री गणेश जी की पूजा-अर्चना करके लाभान्वित होंगे।
कैसे करें श्रीगणेशजी को प्रसन्न-
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रात:काल अपने समस्त दैनिक नित्य कृत्यों से निवृत्त होने के उपरान्त अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करके वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
श्रीगणेश का शृंगार करके उन्हें दूर्वा एवं दूर्वा की माला, मोदक (लड्डू), अन्य मिष्ठान्न ऋतुफल आदि अर्पित करना चाहिए। धूप-दीप, नैवेद्य के साथ की गई पूजा शीघ्र फलित होती है।
किस पाठ से होंगे मनोरथ पूरे–
श्रीगणेश जी की महिमा में उनकी विशेष अनुकम्पा प्राप्ति के लिए श्रीगणेश स्तुति, श्रीगणेश चालीसा, श्रीगणेश सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। साथ ही श्रीगणेश जी से सम्बन्धित विभिन्न मन्त्रों का जप करना लाभकारी रहता है।
यह व्रत महिला-पुरुष तथा विद्यार्थियों के लिए समानरूप से फलदायी है। जिन्हें जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा चल रही हो, उन्हें वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखकर श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए।
श्रीगणेश पुराण के अनुसार भक्तिभाव व पूर्ण आस्था के साथ किए गए वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि के साथ अलौकिक शान्ति व खुशहाली की प्राप्ति होती है।
यह भी पढ़ें: ऋण से मुक्ति दिलाता है भगवान शिव का यह व्रत
यह भी पढ़ें: सर्व पितरों के विसर्जन से मिलेगी पितृ ऋण से मुक्ति
[better-ads type=”banner” banner=”104009″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]