अतुल सुभाष केस: आरोपी चाचा को हाईकोर्ट से राहत, अग्रिम जमानत अर्जी हुई मंजूर…

0

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या मामले में आरोपी निकिता के ताऊ सुशील सिंघानिया की अग्रिम जमानत अर्जी को मंजूर कर लिया है. कोर्ट ने यह राहत चार हफ्ते के लिए शर्तों के साथ दी है. आदेश के अनुसार, सुशील को सक्षम मजिस्ट्रेट के समक्ष 50 हजार रुपये का बेल बॉन्ड भरना होगा और अदालत की अनुमति के बिना वह भारत के बाहर नहीं जा सकेंगे. न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की अदालत ने यह आदेश दिया है.

इस मामले में निकिता, उसकी मां निशा और भाई अनुराग भी याचिकाकर्ता थे. हालांकि, रविवार को निकिता को गुरुग्राम से और उसकी मां व भाई को बेंगलुरु पुलिस ने जौनपुर के घूंसी थाना क्षेत्र स्थित होटल से गिरफ्तार कर लिया था. यह मामला बिहार के समस्तीपुर निवासी एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या से जुड़ा है. आत्महत्या के बाद अतुल के भाई ने निकिता, उसकी मां निशा, भाई अनुराग और ताऊ सुशील के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. जांच के दौरान बेंगलुरु पुलिस ने निकिता के जौनपुर स्थित मायके पर नोटिस चस्पा कर तीन दिन के भीतर बयान दर्ज कराने के निर्देश दिए थे.

निकिता के वकील ने पुलिस पर लगाया नोटिस उल्लंघन का आरोप

सोमवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान निकिता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष तिवारी ने दलील दी कि बेंगलुरु पुलिस ने स्थानीय पुलिस को जानकारी दिए बिना निकिता की मां और भाई को गिरफ्तार किया. उन्होंने इस गिरफ्तारी को मीडिया ट्रायल का नतीजा बताया और कहा कि, पुलिस ने नोटिस में दिए गए तीन दिन की मोहलत का भी उल्लंघन किया. मनीष तिवारी ने अदालत से गुहार लगाई कि, निकिता के 70 वर्षीय ताऊ सुशील हृदय रोगी हैं और चार वर्षीय बच्चे की देखभाल कर रहे हैं. उन पर उत्पीड़न का सामान्य आरोप है. उन्होंने अदालत से छह हफ्ते की अग्रिम जमानत देने की अपील की थी.

इस आधार पर दी गई सुशील सिंघानिया को जमानत

शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड और अतुल के परिवार की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह ने इस अर्जी का विरोध किया. उन्होंने अतुल के सुसाइड नोट और वायरल वीडियो का हवाला देते हुए सुशील सिंघानिया की भूमिका को अहम बताया. हालांकि, कोर्ट ने पाया कि सुसाइड नोट में आत्महत्या के लिए उकसाने का प्रथम दृष्टया आरोप जौनपुर की पारिवारिक न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश रीता कौशिक के खिलाफ है. निकिता, उसकी मां और ताऊ की भूमिका फोन पर जान से मारने की धमकी तक सीमित पाई गई. इसी आधार पर सुशील सिंघानिया को अग्रिम जमानत दी गई.

यह मामला नए आपराधिक कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लागू होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहली ट्रांजिट अग्रिम जमानत का है. कोर्ट ने कहा कि उसका क्षेत्राधिकार अन्य राज्यों में दर्ज मामलों पर भी ट्रांजिट अग्रिम जमानत देने का है.

Also Read: अतुल सुभाष केस: सास, पत्नी, साले की गिरफ्तारी के बाद भाई ने जताई भतीजे की चिंता, कही ये बात….

भरण पोषण मामले की सुनवाई टली

उधर, जौनपुर की पारिवारिक अदालत में सोमवार को भरण-पोषण मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. क्योंकि, निकिता को गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने के कारण वह अदालत में पेश नहीं हो पाई. इस पर अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 29 जनवरी की दी है. इसके अलावा, भरण-पोषण को लेकर दाखिल पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई भी बारहवीं बार टल गई. यह याचिका निकिता ने सितंबर में दाखिल की थी और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की अदालत में लंबित है. इस पूरे मामले में बेंगलुरु पुलिस और आरोपी पक्ष के बीच कानूनी दलीलों के बाद हाईकोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण माना जा रहा है. कोर्ट ने आरोपी सुशील को चार हफ्ते की राहत दी है, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच जारी है.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More