Mahakumbh 2025: कुंभ में क्या है दंडी बाड़ा, क्या है इसका महत्व…
Mahakumbh 2025 : महाकुंभ एक ऐसा समागम है जहां देश- विदेश से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में संगम नगरी प्रयागराज पहुंचते हैं. यहां वे साधु संन्यासियों के दर्शन कर उनका आशीर्वाद भी लेते हैं. इन्हीं संतों में से एक समूह दंडी स्वामियों का है. महाकुंभ में दण्डी बाड़ा का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं आखिर क्या है दंडी बाड़ा, इसमें किस तरह के सन्यासी जुड़े होते हैं.
दण्डी बाड़ा क्या है?…
हाथ में दंड को दण्डी बाड़ा कहते हैं. इसे धारण करने वाले सन्यासी को दण्डी सन्यासी कहा जाता है. दण्डी सन्यासियों का संगठन दण्डी बाड़ा के नाम से जाना जाता है. “दंड संन्यास” सम्प्रदाय नहीं अपितु आश्रम परम्परा है.प्रथम दंडी संन्यासी के रुप में भगवान नारायण ने ही दंडी धारण किया था.
दंडी बाड़ा में किस तरह सन्यासी होते हैं
दंडी संन्यासी केवल ब्राह्मण ही हो सकता है. उसे भी माता-पिता और पत्नी के न रहने पर ही दंडी होने की अनुमति थी. दंडी स्वामियों की अलग दुनिया है, ये कठिन दिनचर्या और तप के जरिये ये अपनी साधना में लगे रहते हैं. न तो दंडी स्वामी खुद अन्न बनाते हैं, न ही बिना निमंत्रण किसी के यहां भोजन करने जाते हैं. जब कोई ब्राह्मण या संत खाने पर बुलाता है, तभी खाने जाते हैं. इन पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद होता है.
नारायण के अवतार माने गए दंडी सन्यासी…
दंडी सन्यासी खुद नारायण के अवतार होते हैं. दंडी स्वामी के दर्शन मात्र से ही नारायण के दर्शन और आशीर्वाद पाने की मान्यता है. कहते हैं अगर कुंभ में दंडी स्वामी की सेवा, दर्शन नहीं किए तो कुंभ स्नान, जप-तप अधूरा माना जाता है.
12 साल बाद हो रहा महाकुंभ का आगाज…
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बता दें कि, इस बार हर बार की तरह 12 साल बाद महाकुंभ का आगाज हो रहा है. इस बार महाकुंभ का आगाज 13 जनवरी 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 तक चलेगा.