2000 बच्चों ने दिया दो किलोमीटर झंडे से बेटी बचाने का सन्देश

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सोलह श्रृंगार में से एक महावर (पाँव में लाल रंग लगाना) का अपना विशेष महत्व है। सनातन परम्परा में महावर का प्रयोग मांगलिक कार्यो में होता आ रहा है। इन्हीं परम्पराओं के दृष्टिगत सामाजिक संस्था आगमन द्वारा चलाये जा रहे बेटी बचाओ अभियान के तहत मातृ दिवस की पूर्व संध्या पर यहां नारी के सम्मान में 2000 बच्चों द्वारा अपने परिवार की महिला सदस्यों के पाँव के महावर छाप के साथ बेटी बचाने से जुड़ा सन्देश दो किलोमीटर लम्बी श्रृंखला बनाकर दिया गया।

शहर के व्यस्तम सड़क बौलिया,महेशपुर और लहरतारा का दृश्य मदर्स डे के पूर्व दिवस पर हर दिन से अलग दिखा। सड़कों पर छात्र छात्राओं के हुजूम ने हाथों में अपने अपने घर की महिला सदस्यों के सम्मान में पैरों की महावर की छाप के साथ दो किलोमीटर लम्बे झंडे लिये सड़कों पर उतर कर महिला सम्मान और बेटी बचाने की गुहार लगाईं।

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इस अनोखे और दिल को छूने वाले इस आयोजन में पाँव के छाप के साथ दो किलोमीटर लम्बे झंडे पर माँ मुझे धरती पर आने दो, मुझे मत मारो मैं ही कल की माँ हूँ, बेटी को धरा पर आने दो, बेटी घर की शान है जैसे सन्देश लिखे थे। हर कदम पर लिखे अलग अलग संदेशों से राहगीरों ने बेटियों के महत्व की दास्तां जानी और सड़क से गुजरते हर किसी ने इन छात्र छात्राओं से कन्या भ्रूण को जीने का अधिकार देने की आवाज बनने का संकल्प लिया व भ्रूण हत्या रोकने की आवाज बनने की शपथ ली ।

सामाजिक संस्था आगमन और सिल्वर ग्रोव स्कूल महेशपुर द्वारा ‘पधारो म्हारे आंगणा’ नाम से दिल को छूने वाला यह आयोजन किया गया। इसके मुख्य अतिथि डॉ विश्म्भरनाथ मिश्र महंथ संकट मोचन मंदिर थे।

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