योगी सरकार का ‘लव जिहाद’ पर एक्शन, धर्म परिवर्तन मामले में 427 केस दर्ज..

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कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार ने धर्मांतरण कानून को रद्द करने का फैसला लिया है. तो वही उत्तर प्रदेश में लव जेहाद को लेकर योगी आदित्यनाथ की सरकार पूरी तरह से सख्त है. उत्तराखंड में लव जिहाद पर मचे घमासान और बढ़ रहे सांप्रदायिक तनाव की स्थिति के बीच उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण कानून की चर्चा तेज हुई है. इस मसले पर सरकार की ओर से सख्त कार्रवाई के निर्देश जारी हैं. पिछले दिनों गाजियाबाद में नाबालिग बच्चे के ऑनलाइन गेमिंग के दौरान धर्मांतरण का मामला सामने आने के बाद हुई कार्रवाई इसका उदाहरण है. अब योगी सरकार ने धर्मांतरण और लव जिहाद के मामले में हुई गिरफ्तारियों और केसों के आंकड़े जारी किए हैं.

65 मामले दर्ज किए जा चुके…

दरअसल आंकड़े बताते हैं कि नाबालिगों के धर्मांतरण के मामले में अब तक यहां पर 65 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. बरेली जनपद में अब तक सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं अगर बात की जाए. उत्तर प्रदेश में दिव्यांग बच्चों के धर्मांतरण के मामले का तो इसे लेकर बड़ी कार्रवाई भी की गई. है…

दिव्यांग बच्चों के धर्मांतरण का खुलासा…

दरअसल, दिव्यांग बच्चों के धर्मांतरण के एक बड़े रैकेट का खुलासा किया गया. 22 जून 2021 को यूपी एटीएस ने नोएडा की डेफ सोसाइटी से ही दो आरोपियों को धर्म परिवर्तन कराने के मामले में गिरफ्तार किया था. जिनमें से एक का नाम मुफ्ती कादरी जहांगीर, वहीं दूसरे का नाम मोहम्मद उमर गौतम था. इन्होंने तब खुलासा किया था कि इन लोगों ने 1000 दिव्यांग लोगों का धर्मांतरण करवाया है जिनमें से दो लोग नोएडा डेफ सोसायटी से भी है.

लव जिहाद-धर्मांतरण के 427 मामले दर्ज…

आपको बता दें कि साल 2021 से लेकर 30 अप्रैल 2023 तक उत्तर प्रदेश में लव जिहाद-धर्मांतरण के 427 मामले दर्ज किए गए. मिली जानकारी के मुताबिक, इसमें करीब 185 मामले ऐसे थे जिसमें पीड़ित ने कोर्ट के सामने जबरन धर्म बदलवाने की बात कबूली है. योगी सरकार के धर्मांतरण कानून के तहत अब तक राज्य में 833 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं.

धर्मांतरण को लेकर सीएम योगी सख्त…

लगातार धर्मांतरण को लेकर सख्ती के साथ सीएम योगी की सरकार पेश आ रही है. ज्ञात हो कि प्रदेश में 27 नवंबर, 2020 से गैर कानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध कानून लागू है. यूपी में धर्मांतरण कानून के तहत अगर कोई आरोपी दोषी साबित होता है. तो उसे अपराध की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की जेल हो सकती है और ऐसे मामले में जुर्माने की राशि 15 हजार से 50 हजार तक रखा गया है

15 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान…

इसके अलाव अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को शादी करने से दो महीने पहले ही जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करने का नियम तय किया गया है. जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर न्यूनतम 15 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. और एक से पांच साल की कैद की सजा हो सकती है।

तो वही एससी/एसटी समुदाय के नाबालिगों के साथ ही महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए जेल की सजा तीन से 10 साल और जुर्माना 50 हजार तय किया गया है. कानून के अनुसार, अगर विवाह का केवल एक ही लक्ष्य महिला का धर्म परिवर्तन करवाना था ऐसी शादी को अवैध करार दिया जाएगा.

मामलों पर चल रही कार्रवाई…

अवैध धर्मांतरण के केवल मामले ही दर्ज नहीं हो रहे, इन मामलों पर कार्रवाई भी की जा रही है. धर्मांतरण कानून के तहत अब तक प्रदेश में 833 से ज्यादा अरेस्टिंग हो चुकी है. पुलिस की पूछताछ में 185 पीड़ितों ने जबरन धर्म बदलवाने की बात कबूली है. इनके खिलाफ एक्शन लिया गया है. धर्मांतरण कानून की धाराओं के तहत लगातार कार्रवाई की जा रही है।

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