योगी सरकार का नया फरमान, जयंती-पुण्यतिथि पर खुलेंगे स्कूल

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उत्तर प्रदेश में जातीय वोटबैंक को साधने के लिए जो सरकार सत्ता में आती है वो किसी न किसी जयंती को सरकारी अवकाश घोषित करने में पीछे नहीं रहती हैं। जिसकी वजह से अब सरकारी कर्मचारियों को साल में 6 महीने ही दफ्तर जाना पड़ता है। साथ ही इन छुट्टियों से स्कूलों पर भी प्रभाव पड़ता है। जिसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है।

लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। क्योंकि प्रदेश की योगी सरकार ने महापुरुषों की जयंती पर होने वाली छुट्टियों को रद्द करने का फैसला किया है। जयंती-पुण्यतिथि के नाम पर छुट्टियों की लंबी सूची पर सरकार कैंची चलाएगी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद इसका खुलासा किया है। शुक्रवार को आंबेडकर जयंती के अवसर पर आंबेडकर महासभा की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि महापुरुषों के नाम पर छुट्टियों की परंपरा बंद होगी।

हम जानते हैं कि इस फैसले से कुछ लोगों को आपत्ति होगी लेकिन यह किया जाना जरूरी है। सीएम ने कहा कि हर महापुरुष के नाम पर छुट्टी की परंपरा चल पड़ी है। गांवों में बच्चों से पूछो तो उन्हें पता ही नहीं होता कि स्कूल क्यों बंद है? वह कहते हैं कि आज इतवार है। जब उनसे कहो कि इतवार नहीं दूसरा दिन है तो वह कहते हैं कि हमें छुट्टी के चलते लगा।

महापुरुषों की जयंती-पुण्यतिथि पर बच्चों को उनके बारे में बताएंगे नहीं तो वे आदर्शों से अवगत कैसे होंगे। इसलिए हमने कहा कि छुट्टी की परंपरा बंद होनी चाहिए। ऐसे मौकों पर स्कूल खुलेंगे और एक-दो घंटे का विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा जिसमें संबंधित महापुरुष के बारे में बच्चों को जानकारी दी जाएगी।

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सीएम ने कहा कि यूपी में स्कूलों में 220 दिनों का शैक्षणिक सत्र छुट्टियों के चलते 120 दिन पहुंच गया है। छुट्टियों की ऐसी ही परंपरा चलती रही तो एक दिन ऐसा आएगा कि स्कूलों के लिए कोई कार्यदिवस ही नहीं बचेगा।

छुट्टियों से काम पर कितना असर?

यूपी में सियासत के नाम पर अब तक 42 छुट्टियां घोषित की जा चुकी हैं। इसमें 17 छुट्टियां ऐसी हैं जो सीधे तौर पर जातीय गणित को साधने के लिए की गई हैं। छुट्टियों के मामले में यूपी देश में पहले नंबर पर है। अगर इन घोषित छुट्टियों में 52 शनिवार और रविवार जोड़ दिया जाए जो 146 दिन सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे। इसमें कर्मचारियों को मिलने वाले 15 अर्न्ड लीव और 14 कैजुअल लीव शामिल करें तो करीब 175 दिन की छुट्टी होती है। इस हिसाब से लगभग छह महीने कर्मचारियों को दफ्तर जाने की जरूरत नहीं होगी।

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