योगी सरकार ने कर दिया मुख्तार के इकबाल का एनकाउंटर !

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जिसकी एक आवाज पर मंत्री से लेकर माफिया तक की घिघ्घी बंध जाती थी. एक फोन कॉल पर सीएम से लेकर डीएम तक हरकत में आ जाते थे. सत्ता पर चाहे कोई भी काबिज हो, लेकिन पूर्वांचल में सिक्का तो बस इसी शख्स का चलता था. नाम है मुख्तार अंसारी. लेकिन अब ना ये रुतबा रहा और ना ही उसकी सल्तनत. जरायम की दुनिया का ये बादशाह अब जमीन पर आ चुका है. भींगी बिल्ली की तरह अपनी जान की भीख मांग रहा है. रोपड़ जेल के बाहर व्हीलचेयर पर आई तस्वीरों ने बता दिया यूपी का सबसे बड़ा माफिया डॉन, अब किस कदर बेबस और लाचार बन चुका है. यूपी वापसी के साथ ही उसके समर्थक सलामती की दुआ कर रहे हैं. हर वक्त अनहोनी का डर उन्हें सता रहा है. मुख्तार अंसारी का ये हाल किया है योगी आदित्यनाथ की सरकार ने. योगी सरकार ने एक झटके में मुख्तार और उसकी पूरी गैंग को घुटनों के बल ला दिया.

Ambulance used to ferry UP MLA Mukhtar Ansari to Mohali found abandoned in Rupnagar, say police - India News
सोशल मीडिया पर लोग रहे हैं मुख्तार के मजे

सोशल मीडिया पर तो मुख्तार अंसारी मजाक का दूसरा नाम बन चुका है. उसे लेकर तरह-तरह के किस्से और चुटकुले गढ़े जा रहे हैं. कोई गाड़ी पलटने की भविष्यवाणी कर रहा है तो कोई विकास दुबे की याद दिला रहा है. ऐसा लग रहा है कि मुख्तार के विरोधी इस पल को जी भरकर जी लेना चाहते हैं. दरअसल मुख्तार की बर्बादी का इंतजार उसके विरोधियों को सालों से था. ऐसा नहीं है कि उसे चुनौती देने की कोशिश नहीं हुई. पूर्व बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय, बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह सरीखे बाहुबली उसे टक्कर देते रहे लेकिन कहना गलत नहीं होगा, मुख्तार हर बार बीस साबित हुआ. अपने बाहुबल और सियासी रसूख के दम पर वो एक-एक कर विरोधियों का खात्मा करता चलता गया. और बन गया सबसे बड़ा माफिया डॉन.

Jailed don Mukhtar Ansari in Punjab police custody over extortion threat allegations

योगी सरकार ने जमींदोज किया मुख्तार का इकबाल

कहते हैं कि अगर किसी माफिया का खौफ खत्म करना हो तो उसे मारना नहीं चाहिए बल्कि उसकी इकबाल को जमींदोज कर देना चाहिए. योगी सरकार भी इसी राह पर चल रही है. सत्ता में आने के साथ ही सबसे पहले योगी सरकार ने मुख्तार के फाइनेंसर्स और गुर्गों पर नकेल कसना शुरु किया. मुख्तार के अर्थतंत्र को तबाह कर दिया गया. गाजीपुर से लेकर गाजियाबाद तक, जहां भी मुख्तार अंसारी से जुड़ी बेनामी संपत्ति मिली, योगी सरकार ने उस पर डंडा चलाने पर देरी नहीं की. महज तीन साल में ही मुख्तार अंसारी पर योगी सरकार का खौफ सिर चढ़कर बोलने लगा. माफिया डॉन के दिल में योगी सरकार का डर इस कदर समा गया था कि साल 2018 में जब बागपत जेल में उसके सबसे खास गुर्गे मुन्ना बजरंगी की हत्या हुई तो उसके दिल का डर, दर्द बनकर उठने लगा. हालात ये हुए कि यूपी से भागने में ही उसने भलाई समझी. कांग्रेस से नजदीकियों का फायदा उठाते हुए रंगदारी के एक मामले में पेशी पर गया और फिर रोपड़ जेल में कैद हो गया. इस बीच जब यूपी सरकार ने उसे वापस लाने की बहुत कोशिश की लेकिन हर बार वो बीमारी का बहाना बनाकर बच निकला. आलम ये हुआ कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने मुख्तार की यूपी वापसी को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया. ये लड़ाई देश की सबसे बड़ी अदालत तक चली गई. फैसला योगी सरकार के हक में आया.

यूपी की सत्ता में कभी चलता था मुख्तार का सिक्का

गाजीपुर और मऊ में मुख्तार अंसारी और उसके परिवार का रुतबा कायम रहा है. चाहे जरायम की दुनिया हो या फिर राजनीति का मैदान. मुख्तार अंसारी का जलवा कायम रहा. खुद मुख्तार लगातार पांच बार से मऊ सदर सीट से विधायक है तो उसके भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर से सांसद हैं. यही नहीं मुख्तार के सबसे बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी भी विधायक रह चुके हैं. ये सिलसिला पिछले तीन दशकों से बदस्तूर जारी है. सत्ता में समाजवादी पार्टी रही हो या फिर बहुजन समाज पार्टी, मुख्तार की हैसियत पर कभी आंच नहीं आई. वो तो मायावती और मुलायम के आंखों का तारा बना रहा. अपने राजनैतिक करियर के दौरान उसका अधिकांश वक्त जेल में बीतता चला आया है. लेकिन जेल की सलाखें भी उसके रसूख को नहीं भेद पाई. जेल के अंदर ही उसकी महफिल सजती थी. ऐशो आराम की हर चीज चौबीस घंटें तैयार रहती थी. ताजी मछली खाने के लिए जेल में तालाब खोदवाने से लेकर पालतू कुत्ते के लिए विशेष कमरे के इंतजाम जैसे कई किस्से इन दिनों सुर्खियों हैं. कहते हैं कि जब मुख्तार जेल से पेशी पर निकलता था तो रास्ते में उसके स्वागत के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता था. किसी बड़े राजनेताओं की तरह जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए जाते. समर्थक बैंड बाजे और फूलों से उसका स्वागत करते थे. समर्थकों की अनगित गाड़ियों का काफिला, मुख्तार की हैसियत खुद ब खुद बयां करता था. लेकिन वक्त ने ऐसी करवट ली कि बाहुबली विधायक अब बेबस बन चुका है.

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