अयोध्या रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए काशी में तैयार हुए यज्ञ के पात्र

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आध्यात्मिक नगरी काशी के काष्ठ शिल्पी महीनों से अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों में जुटे हैं. संगहालय के लिए काठ की कलाकृतियां, मुखौटे आदि भेजने का कार्य अंतिम दौर में है. ऐसे में प्राण प्रतिष्ठा के लिए होने वाले हवन-पूजन की सामग्रियां भी यहीं तैयार हो रही हैं। यज्ञ के प्रयुक्त पात्रों आदि को बनाने का कार्य रामपुरा क्षेत्र के काष्ठ शिल्पी सूरज विश्वकर्मा और सहयोगी कर रहे हैं. सामग्रियां बनकर तैयार हो चुकी. इनमें से कुछ सामग्रिया भेजी जा चुकी हैं. बाकी के पात्र आदि पांच जनवरी को अयोध्या भेजा जाएगा.
सूरज ने बताया कि उन्हें गजानंद ज्योतकर गुरु ने यज्ञ पात्र बनाने का ऑर्डर दिया था. 10 सेट यज्ञ पात्र बनाना था. इसमें से कुछ जा चुका है, बाकी 5 जनवरी को भेज दिया जाएगा.

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बैकवंत की लकड़ी से बने हैं यज्ञ पात्र

सूरज ने बताया कि यज्ञ में इस्तेमाल होने वाला सभी सामान वैकंकत की लकड़ी से तैयार किया गया है. यज्ञ पात्र अर्णी, मंथा, शंख, चक्र, गदा, पद्म आदि तैयार किए गए हैं. अर्णी व मंथा को पीपल और शमी की लकड़ी से तैयार किया गया है. इसमें किसी भी प्रकार के पेंट का प्रयोग नही किया गया है. वैदिक विधि से अग्नि उतपन्न करने के लिए अरणी मंथन तैयार है. लकड़ी के इस उपकरण के जरिये यज्ञ कुंड के लिए अग्नि उत्पन्न की जाती है. इसके अलावा सुरूवा (आहुति), सुरुचि (पूर्णाहुति), प्रणीता (जलपात्र), प्रोक्षणि (घी पात्र) और खड्ग (वेदी कुंड के बाहर लेख खींचने के काम आनेवाला) तैयार है.

विद्वान लक्ष्मीकांत दीक्षित बताया आकार और स्वरुप

सूरज विश्वकर्मा ने यज्ञ पात्रों के आकार व स्वरूपों की सटीक जानकारी पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित गुरूजी और उनके ताऊ गणेश्वर दीक्षित बताई। इस काम में हमारी यह चौथी पीढ़ी है. यहां पूरे आस्था और वैदिक नियमों के अनुसार इन पात्रों को बनाया जाता है.

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