Why Bharat Matters: विदेशमंत्री ने रामायण के जरिए भारत के अन्य देशों से रिश्तों को समझाया

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान अपनी किताब ‘क्यों भारत मायने रखता है‘ का विमोचन किया. इस दौरान उन्होंने किताब से संबंधित कई पहलुओं का जिक्र किया.

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विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले 10 साल की सरकार के कामकाज परिवर्तनकारी रहे हैं. इनमें जम्मू कश्मीर से आर्टिकल-370 को हटाना, एलएसी पर चीन से विवाद के अलावा वैश्वक दुनिया को लेकर नई तरह की फॉरेन पॉलिसी ने आकार लिया. उन्होंने अपनी पुस्तक में वैश्विक शक्ति बनने के लिए देश की सभ्यतागत विरासत से नए भारत को शक्ति प्राप्त करने पर बात की है. जयशंकर ने पुस्तक के विषयों को रामायण से जोड़कर समझाने का प्रयास किया.

फ्रांस भारत के लिए लक्ष्मण की तरह प्रमुख सहयोगी

उन्होंने राम-लक्ष्मण की तुलना भारत और करीबी देशों के रिश्ते से की. कहाकि प्रत्येक राम को एक लक्ष्मण की आवश्यकता होती है, यदि आपके पास विश्वसनीय दोस्त और सहयोगी हैं तो उससे काफी मदद मिलती है. यह पूछे जाने पर कि क्या फ्रांस भारत के लिए ’लक्ष्मण’ (प्रमुख सहयोगी) है. विदेशी मंत्री ने कहा कि ’’किताब में फ्रांस पर एक पूरा अध्याय है. इसमें कई बार लक्ष्मण का जिक्र आता है. एस जयशंकर ने बताया कि रामायण में कई बेहतरीन डिप्लोमैट हैं. इसमें हर कोई हनुमान के बारे में बात करता है. लेकिन वहां एक अंगद भी थे. इसमें मौजूद सभी किरदारों ने अपना-अपना राजनयिक योगदान दिया.

दशरथ पुत्रों के जरिये क्वाड का महत्व समझाया

जयशंकर ने दशरथ के चार पुत्रों राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जिक्र करते हुए क्वाड समूह को भी समझाया. उन्होंने कहाकि दशरथ के चार पुत्रों के कई मायनों में प्रतिस्पर्धी हित हैं, लेकिन उनमें मौलिक समानताएं भी हैं. जब राम को वनवास मिला तब लक्ष्मण उनके साथ गए. जंगल में राम और लक्ष्मण से मिलने बाकी दोनों भाई गए थे. उनमें एक समानता थी जो चारों को जोड़े हुए थी. ठीक ऐसा ही क्वाड के साथ भी है. हम अलग-अलग होते हुए भी एक साथ हैं. यही हमारी यानी क्वाड की विशेषता है.

चीन के साथ भारत की नीतियों पर भी बोले

इससे पहले एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में जयशंकर ने दोहराया कि भारत को चीन के साथ यथार्थवाद के आधार पर निपटना चाहिए. साथ ही कहा कि रिश्तों का आंकलन तीन चीजों पर आधारित होना चाहिए. एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना, संवेदनशीलता और दोनों के हित जरूरी हैं. उन्हांने चीन के आक्रामक कदमों को रोकने के लिए भारत के दृष्टिकोण का भी पुर्नमूल्यांकन किया. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, पहले गृह मंत्री व उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल के दृष्टिकोण में अंतर बताते हुए जयशंकर ने दोनों दिग्गजों के बीच मतभेद पर खुलकर चर्चा की. वहीं चीन के प्रति नेहरु की नीतियों पर जमकर प्रहार किया.
बता दें कि विदेश मंत्री की पुस्तक का विमोचन ऐसे समय में हुआ है जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होनेवाले हैं.

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