दुनियाभर में तबाही मचाने वाला कोरोना वायरस (Corona Virus) का असर लगभग ख़त्म होता दिख ही रहा था कि अब विश्व में मंकीपॉक्स (Monkeypox) नाम की बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. हालांकि, भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आ रहे हैं, भारत में अभी तक इसका कोई केस नहीं मिला है. वहीं, आशंकाएं ऐसी भी है कि क्या मंकीपॉक्स कोरोना वायरस की तरह वैश्विक महामारी का रूप लेगा? इसको लेकर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बड़ा बयान दिया है. बीते सोमवार को डब्ल्यूएचओ ने बताया कि उसे अभी इस बात की चिंता नहीं है कि अफ्रीकी देशों से परे मंकीपॉक्स एक वैश्विक महामारी को जन्म दे सकता है.
डब्ल्यूएचओ की डॉ. रोजमंड लुईस ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा ‘इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि विश्व स्तर पर दर्जनों देशों में अधिकतर समलैंगिक, उभयलिंगी या पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष मंकीपॉक्स के शिकार हुए हैं, ताकि वैज्ञानिक इसके बारे में और अध्ययन कर सकें और जो लोग इसका शिकार हो सकते हैं, उन्हें ऐहतियात बरतने की सलाह दे सकें.’
डॉ. रोजमंड लुईस ने कहा ‘कोई भी इस बीमारी की चपेट में आ सकता है, भले ही उसकी लैंगिक पहचान कुछ भी हो. इस बात की आशंका नहीं है कि यह बीमारी महामारी का रूप ले लेगी. मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है. यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था. मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था. यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है.’
एक शीर्ष विशेषज्ञ के मुताबिक, उन्हें नहीं लगता यह बीमारी एक महामारी का रूप लेगी, लेकिन इसके बारे में अभी बहुत कुछ जानना बाकी है. एक सवाल यह है कि यह बीमारी वास्तव में किस तरह फैलती है और क्या दशकों पहले चेचक टीकाकरण पर रोक लगाए जाने के कारण किसी तरह इसका प्रसार तेज हो सकता है.