समलैंगिको के हाथ में दिखने वाले इंद्रधनुषीय झंडे में रंगों का क्या है मतलब, जानें क्या हैं मायने….

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देश में समलैंगिक विवाह को लेकर देश भर में चर्चा चल रहा है, इसके साथ ही समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए, कोर्ट ने समलैंगिक विवाह से इंकार कर दिया है। इसके साथ ही समलैंगिक समाज में कोर्ट के इस फैसले से निराशा की लहर दौड़ गयी है। इसके अलावा यदि आप ने गौर किया होगा तो, देखा होगा समलैगिक समाज के हाथों में अक्सर आठ रंगों वाला रैनबों फ्लैग देखने को मिलता है। लेकिन क्या आप इस झंडे का मतलब जानते है…क्या आपको मालूम है इन आठ रंगों का मतलब ? अगर नहीं तो आइए जानते है इसका मतलब…

समलैंगिक समाज के झंडे में रंगों का अर्थ

समलैंगिक समाज के झंडे में दिखने वाले हर रंग का कुछ न कुछ मायना जरूर होता है, जो उनकी और हमारी जिंदगी के कई सारे पहलुओ से जुडा हुआ है। यदि आप ने गौर से देखा होगा तो पाएंगे इस झंडे में लाल, ऑरेंज, पीला, नीला, हरा और बैंगनी रंग शामिल है। जो इंद्रधनुष बनते नजर आते है, सबसे पहले आपको बता दें कि, इस झंडे कुल 6 रंगों को शामिल किया गया है। बताया जाता है कि, शुरूआती दौर में इस झंडे में आठ रंग होते थे, लेकिन फिर समय बीतने के साथ पिंक और फिरोजी रंग को हटा दिया गया । वर्तमान समय में समलैंगिक झंडे में केवल 6 रंग ही देखने को मिलते है तो, आइए जानते है क्या है इन 6 रंगो के मायने….

लाल: जिंदगी का प्रतीक
नारंगी: इलाज का प्रतीक
पीला: सूरज की रोशनी का प्रतीक
हरा: प्रकृति का प्रतीक
नीला: सौहार्द का प्रतीक
बैंगनी: इंसानी रूह (आत्मा) का प्रतीक

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जानें क्या है झंडे का इतिहास ?

साल 1978 में समलैंगिक समुदाय के प्रतीक के रूप में मान्यता मिली थी। 1990 का दशक आते-आते यह झंडा दुनियाभर में एलजीबीटी समुदाय का प्रतीक बनता गया. इस झंडे को पहली बार सैन-फ्रांसिस्को में 25 जून को गे फ्रीडम डे के मौक़े पर फहराया था। सैन-फ्रांसिस्को के कलाकार गिलबर्ट बेकर आठ रंगों वाला डिज़ाइन किया हुआ झंडा लोगों के सामने लेकर आए थे। बेकर ने कहा था कि, ‘इस झंडे के माध्यम से वे विविधता के बारे में दिखाना चाहते हैं।

समलैंगिकों का ये झंडा सबसे पहले सेन फ्रांसिस्को के कलाकार गिल्बर्ट बेकर ने एक स्थानीय कार्यकर्ता के कहने पर समलैंगिक समाज को एक पहचान देने के लिए बनाया था। सबसे पहले उन्होंने 5 पट्टे वाले “फ्लैग ऑफ द रेस” से प्रभावित होकर इस आठ पट्टे वाले झंडे को बनाया था। बता दें, उनका निधन साल 2017 में 65 साल की उम्र में हो गया था।’

 

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