द कश्मीर फाइल्स विवाद: नादव लैपिड के बयान की आलोचना, विवेक अग्निहोत्री और अशोक पंडित ने दी प्रतिक्रिया
गोवा में आयोजित 53वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएफएफआई) में 22 नवंबर को इंडियन पनोरमा सेक्शन के तहत फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की स्क्रीनिंग की गई. इस दौरान आईएफएफआई के समापन पर इफ्फी के जूरी हेड और इजरायली फिल्ममेकर नादव लैपिड ने फिल्म को वल्गर, अश्लील, अनुचित और प्रोपेगेंडा बताया. लैपिड के विवादित बयान से मामला गरमाया हुआ है. जिसको लेकर द कश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री, फिल्ममेकर अशोक पंडित, फिल्ममेकर और आईएफएफआई जूरी के सदस्य सुदीप्तो सेन और एक्टर अनुपम खेर ने लैपिड के आपत्तिजनक बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
विवेक रंजन अग्निहोत्री ने अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया है. उन्होंने बगैर नाम लिए और बिना फिल्म के जिक्र करते हुए लिखा
‘सच सबसे खतरनाक चीज है. यह लोगों को झूठा बना देता है.’
GM.
Truth is the most dangerous thing. It can make people lie. #CreativeConsciousness
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) November 29, 2022
इस मामले पर अनुपम खेर ने अपने ट्विटर हैंडल से कई ट्वीट किये. पहले ट्वीट में उन्होंने द कश्मीर फाइल्स की फोटोज शेयर करते हुए लिखा
‘झूट का क़द कितना भी ऊँचा क्यों ना हो.. सत्य के मुक़ाबले में हमेशा छोटा ही होता है..’
झूट का क़द कितना भी ऊँचा क्यों ना हो..
सत्य के मुक़ाबले में हमेशा छोटा ही होता है.. pic.twitter.com/OfOiFgkKtD— Anupam Kher (@AnupamPKher) November 28, 2022
दूसरे ट्वीट में उन्होंने एक वीडियो शेयर किया और कैप्शन में लिखा
‘कश्मीर फ़ाइल्स’ का सच कुछ लोगो के गले में एक काँटे की तरह अटक गया है. वो ना उसे निगल पा रहे है ना उगल! इस सच को झूठा साबित करने के लिए उनकी आत्मा, जो मर चुकी है, बुरी तरह से छटपटा रही है. पर हमारी ये फ़िल्म अब एक आंदोलन है फ़िल्म नहीं. तुच्छ टूलकिट गैंग वाले लाख कोशिश करते रहें.’
‘कश्मीर फ़ाइल्स’ का सच कुछ लोगो के गले में एक काँटे की तरह अटक गया है।वो ना उसे निगल पा रहे है ना उगल! इस सच को झूठा साबित करने के लिए उनकी आत्मा,जो मर चुकी है, बुरी तरह से छटपटा रही है।पर हमारी ये फ़िल्म अब एक आंदोलन है फ़िल्म नहीं।तुच्छ #Toolkit गैंग वाले लाख कोशिश करते रहें।🙏 pic.twitter.com/ysKwCraejt
— Anupam Kher (@AnupamPKher) November 29, 2022
वहीं, फिल्ममेकर अशोक पंडित ने इस मामले पर अपने ट्विटर हैंडल से कई ट्वीट किये हैं. उन्होंने लिखा
‘नादव लैपिड का कश्मीर फाइल्स के खिलाफ गैरजिम्मेदाराना बयान 2 भारतीय फिल्म निर्माताओं का अपमान है. मैं सभी फिल्ममेकर्स से अपील करता हूं कि वह विवेक अग्निहोत्री के साथ खड़े हों और एक ऐसे विदेशी का बहिष्कार करें जिसने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और सांस्कृतिक खात्मे का मजाक उड़ाया है.’
#NadavLapid’s irresponsible statement against #KashmiriFiles is an insult 2 Indian filmmakers.
I therefore appeal to Indian Filmmakers to stand by a fellow director @vivekagnihotri and denounce a foreigner,who mocked the genocide & ethnic cleansing of #KashmiriPandits.#IFFI2022— Ashoke Pandit (@ashokepandit) November 29, 2022
अशोक पंडित ने एक वीडियो शेयर किया. उन्होंने कैप्शन में लिखा
‘एक इजरायली फिल्म निर्माता द्वारा उनके नरसंहार को गाली देने और उपहास उड़ाने के बाद कोई भी क्षमा याचना कश्मीरी पंडितों को संतुष्ट नहीं कर सकता है. कश्मीर फाइल्स.’
No apologies from anyone can satisfy the #KashmiriPandits after abusing and mocking their genocide by an Israeli film maker . #KashmiriFiles pic.twitter.com/E0HbF1Gkiy
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) November 29, 2022
अशोक पंडित ने लिखा
‘इजरायली फिल्म निर्माता नादव लैपिड ने कश्मीर फाइल्स को एक अश्लील फिल्म कहकर आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई का मजाक बनाया है. उन्होंने भाजपा सरकार की नाक के नीचे 7 लाख कश्मीरी पंडितों का अपमान किया है. यह आईएफएफआई गोवा 2022 की विश्वसनीयता के लिए एक बड़ा झटका है. शर्मनाक.’
#Israeli filmmaker #NadavLapid has made a mockery of India’s fight against terrorism by calling #KashmirFiles a vulgar film .
He has insulted 7 lac #KashmiriPandits under the nose of the #BJP govt .
Its a big blow to #IFFIGoa2022 ‘s credibility.
Shame .— Ashoke Pandit (@ashokepandit) November 28, 2022
अशोक पंडित ने लिखा
‘आईएफएफआई 53 गोवा के जूरी प्रमुख के रूप में नादव लैपिड का चयन I&B मंत्रालय की ओर से एक बड़ी चूक है. इसलिए मंत्रालय में जो लोग इस अपराध के लिए जिम्मेदार हैं, उनके प्रमुखों को रोल करना चाहिए. फ़िलिस्तीन के हमदर्द से कोई क्या उम्मीद कर सकता है?’
#NadavLapid’s selection as the jury head of #IFFI53Goa is a major lapse on behalf of I&B ministry.
Hence heads of those in the ministry, who are responsible for this crime, should roll. What does one expect from a Palestine sympathiser?!#KashmirFiles
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) November 28, 2022
अशोक पंडित ने लिखा
‘नादव लैपिड द्वारा कश्मीर फाइल्स के लिए इस्तेमाल की गई भाषा पर मुझे कड़ी आपत्ति है. 3 लाख कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार को चित्रित करना अश्लील नहीं कहा जा सकता. मैं एक फिल्म निर्माता और एक कश्मीरी पंडित के रूप में आतंकवाद के पीड़ितों के प्रति इस बेशर्म कृत्य की निंदा करता हूं.’
I take strong objection to the language used by Mr. Nadav Lapid for #kashmirFiles .
Depicting the genocide of 3 lakh #KashmiriHindus cannot be called vulgar .
I as a filmmaker & a #KashmiriPandit condemn this shameless act of abuse towards victims of terrorism .— Ashoke Pandit (@ashokepandit) November 28, 2022
अशोक पंडित ने लिखा
‘आपको शर्म आनी चाहिए नादव लैपिड. हमारे दुश्मन कभी चैन से नहीं रहे. कश्मीरी पंडित. कश्मीरी पंडित नरसंहार. कश्मीर फाइल्स.’
Shame on you #NadavLapid
Our enemies have never lived in peace . #KashmiriPandits #KashmiriPanditGenocide #KashmirFiles pic.twitter.com/fSP68Pwtky
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) November 29, 2022
फिल्ममेकर और आईएफएफआई जूरी के सदस्य सुदीप्तो सेन ने भी नादव लैपिड के बयान पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा
‘वह उनका निजी विचार है. इससे वह और जूरी बोर्ड के 4 अन्य सदस्य इत्तेफाक नहीं रखते हैं. बतौर जूरी उन्हें फिल्म के टेक्निकल, ऐस्थेटिक, क्वैलिटी और सोशिओ कल्चर रिलेवंस बात करनी थी. जूरी किसी भी फिल्म पर राजनीतिक कमेंट में शामिल नहीं है. यह नादव लैपिड के पर्सनल विचार हैं.’
#IFFI #IFFI2022 @nfdcindia @ianuragthakur pic.twitter.com/GBhtw0tH6C
— Sudipto SEN (@sudiptoSENtlm) November 28, 2022
बता दें नादव लैपिड ने अपनी स्पीच में कहा था कि फिल्म द कश्मीर फाइल्स से हम सभी परेशान और हैरान थे. यह मुझे एक प्रचार और अश्लील फिल्म की तरह लगी, जो इस तरह के प्रतिष्ठित फिल्म समारोह के कलात्मक प्रतिस्पर्धी वर्ग के लिए जरूरी नहीं है. मैं यहां पर आपके साथ इन भावनाओं को खुले तौर पर साझा करने में पूरी तरह से सहज महसूस कर रहा हूं. इस उत्सव की भावना में, हम निश्चित रूप से एक आलोचनात्मक चर्चा को भी स्वीकार कर सकते हैं, जो कला और जीवन के लिए आवश्यक है.
Also Read: इजरायली निर्देशक नादव लैपिड ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को कहा वल्गर, भड़के अनुपम खेर, सोशल मीडिया पर बवाल