भारत में विदेशी टेक कंपनियों पर अब नहीं लगेगा Google Tax, जानें वजह

भारत में विदेशी टेक कंपनियों पर अब नहीं लगेगा Google Tax, जानें वजह

डिजिटल युग में जहां वैश्विक टेक कंपनियां बिना किसी भौतिक उपस्थिति के देशों में अरबों की कमाई कर रही थीं, वहीं भारत ने 2016 में एक अनोखी पहल करते हुए ‘Google tax’ या ‘Equalisation Levy’ लागू किया. इसका उद्देश्य था यह सुनिश्चित करना कि गूगल, फेसबुक (अब मेटा) और अमेजन जैसी विदेशी कंपनियां भारत में अपनी कमाई पर उचित कर अदा करें. लेकिन अब, भारत सरकार ने इस टैक्स को हटा दिया है. ऐसा क्यों हुआ और इसके क्या प्रभाव पड़ेंगे? आइए, इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं.

गूगल टैक्स क्या था और इसे क्यों लागू किया गया?

भारत में कई विदेशी डिजिटल कंपनियां बड़ी मात्रा में विज्ञापन और ई-कॉमर्स से राजस्व कमा रही थीं, लेकिन वे भारत में पारंपरिक कर व्यवस्था के तहत कर अदा नहीं कर रही थीं. इसे ध्यान में रखते हुए, 2016 में भारत सरकार ने इक्वलाइजेशन लेवी लागू की, जिसे आम बोलचाल में गूगल टैक्स कहा जाने लगा.

2016 में शुरुआत- पहली बार इसे डिजिटल विज्ञापन सेवाओं पर लागू किया गया, जिसमें 6% टैक्स वसूला जाता था.
2020 में विस्तार- सरकार ने इसका दायरा बढ़ाकर उन सभी ई-कॉमर्स कंपनियों पर 2% टैक्स लगाया, जो भारत में अपनी सेवाएं देती थीं लेकिन यहां पंजीकृत नहीं थीं.

इस टैक्स का मुख्य उद्देश्य विदेशी कंपनियों से भारत में अर्जित राजस्व पर टैक्स वसूलना था, ताकि वे भी भारतीय कंपनियों के समान ही कर प्रणाली के दायरे में आएं.

ALSO READ: US Tariffs: अमेरिका के टैरिफ से इन देशों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर

क्यों आई गूगल टैक्स हटाने की नौबत?

हाल ही में खबर आई कि भारत सरकार 1 अप्रैल 2025 से गूगल टैक्स को हटाने की योजना बना रही है. इसका एक बड़ा कारण अमेरिका की प्रतिक्रिया है. अमेरिका लंबे समय से इस टैक्स को हटाने के लिए भारत पर दबाव बना रहा था.

अमेरिका का दबाव- अमेरिका इसे अपनी टेक कंपनियों पर “अनुचित कर” मानता था. पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन ने इसे हटाने की मांग की थी. डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही साफ कर दिया कि अगर भारत गूगल टैक्स नहीं हटाता, तो अमेरिका प्रतिशोधात्मक टैरिफ (retaliatory tariffs) लगाएगा.
ग्लोबल टैक्स डील- 2021 में OECD (ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट) द्वारा एक वैश्विक कर समझौता हुआ था. इसमें तय किया गया कि मल्टीनेशनल कंपनियां अपने होम कंट्री के अलावा उन देशों में भी टैक्स देंगी, जहां वे बिजनेस कर रही हैं.
भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध- भारत अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था. इसलिए यह माना जा रहा है कि सरकार ने व्यापारिक स्थिरता बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया है.

गूगल टैक्स हटाने से क्या असर पड़ेगा?

इस फैसले के कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक प्रभाव होंगे.

विदेशी कंपनियों को राहत
गूगल, मेटा और अमेजन जैसी कंपनियों की टैक्स देनदारी कम होगी, जिससे वे भारतीय बाजार में और विस्तार कर सकेंगी.
डिजिटल एडवरटाइजिंग और ई-कॉमर्स सेक्टर में विदेशी निवेश बढ़ सकता है.

भारतीय कंपनियों पर असर
भारतीय डिजिटल कंपनियों को बड़ी विदेशी कंपनियों से ज्यादा प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा.
स्थानीय डिजिटल एडवरटाइजिंग और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए बाजार में बने रहना चुनौतीपूर्ण हो सकता है.

सरकार के राजस्व पर प्रभाव
सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण कर राजस्व स्रोत समाप्त हो जाएगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार 15 मार्च 2025 तक इस टैक्स से 3,343 करोड़ रुपये जुटा चुकी थी, जो अब नहीं मिलेगा.

अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध बेहतर होंगे
इस कदम से भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में सकारात्मक माहौल बनेगा.
अमेरिकी टैरिफ से बचने में मदद मिलेगी.