मणिपुर में फिर भड़की हिंसा! धारा 144 हुई लागू, इंटरनेट सेवा हुई बंद
मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर प्रदेश में बवाल मचा हुआ है. मैतेई समुदाय को एसटी में शामिल करने की मांग के खिलाफ जनजातीय समूहों द्वारा बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. इसके चलते 8 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को ठप कर दिया गया है.
वहीं, चुराचांदपुर के डीएम ने कहा कि ताजा हिंसा की घटना को देखते हुए जिले में कड़े कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि चुराचांदपुर आदिवासी बहुल वाला इलाका है. यहां शांति भंग न हो और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए यहां धारा 144 लागू की गई है. मणिपुर में पिछले कई दिनों से कई इलाकों में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है.
#WATCH | Mob destroys houses amid tensions in Churachandpur Town in Manipur. Public curfew has been imposed in the district. pic.twitter.com/jonBsyRI18
— ANI (@ANI) May 3, 2023
रिजर्व फॉरेस्ट एरिया से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर चुराचांदपुर जिले के न्यू लमका में विरोध और आगजनी के बाद तनाव जारी है. बीते दिनों चुराचंदपुर में सीएम एन बीरेन सिंह के एक कार्यक्रम स्थल पर भीड़ ने तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दिया था. इसके बाद यहां आगजनी हुई थी. इसके बाद से यहां तनाव जारी है.
8 जिलों में कर्फ्यू लागू…
बता दें कि मणिपुर में मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने को लेकर पिछले कई दिनों से प्रदर्शन जारी है. बुधवार को प्रदेश के 8 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया. जानकारी के मुताबिक, जिन जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है, उनमें काकचिंग, जिरिबाम, थौबल, इंफाल पश्चिम और बिष्णुपुर और आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों के नाम शामिल हैं.
क्या है तनाव का कारण?
मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में बहुसंख्यक मेइतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने के कदम का विरोध करते हुए राज्य के सभी दस पहाड़ी जिलों में छात्र संगठन की ओर से बुलाए गए ‘एकजुटता मार्च’ में हजारों आदिवासी शामिल हुए. इस दौरान हिंसा की भी खबरें आई हैं. प्रदर्शन को देखते हुए बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. राज्य के 53 प्रतिशत आबादी वाले मेइती मणिपुर घाटी में रहते हैं, जो राज्य के भूमि क्षेत्र का लगभग दसवां हिस्सा है और दावा करते हैं कि वे म्यांमार और बांग्लादेशियों की ओर से बड़े पैमाने पर अवैध घुसपैठ के कारण कठिनाई का सामना कर रहे हैं. दूसरी ओर, पहाड़ी जिले जो राज्य के अधिकांश भू-भाग में फैले हुए हैं वहां ज्यादातर आदिवासी निवास करते हैं जिनमें नगा और कुकी जनजातियां भी शामिल हैं.
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