नई शिक्षा नीति पर समग्रता से हो विचार

भारत जैसा विशाल लोकतांत्रिक देश जब शिक्षा नीति बना रहा तो उस पर समग्रता से विचार-विमर्श होना चाहिए

0

एस अनिल

 

आज हम जिस दौर में है उसमें शिक्षा का मतलब बहुत बदल गया है। इस कारण यदि हम नई शिक्षा नीति बनाने जा रहे हैं तो हमें अपनी आवश्यकता और मानव संसाधन की कीमत को भी समझना होगा। भारत जैसा विशाल लोकतांत्रिक देश जब शिक्षा नीति बना रहा तो उस पर समग्रता से विचार-विमर्श होना चाहिए। मसलन हम किसे, किसलिए, क्यों, कैसे, क्या बनाने की सोच रहे हैं।

साथ ही स्कूलों का वातावरण टाइमिंग भी महत्वपूर्ण बिंदु है। ऐसा नहीं हो कि बच्चे स्कूल बैग के हैवी लोड से दबे रहें। जिससे खेल मैदान से दूर डिजीटल दुनिया में खोकर मानसिक विकार के शिकार हो जाय। उनका ज्यादातर टाइम स्कूल बस में ही बीत रहा थके-हारे सो जा रहे। मतलब स्कूल से घर की दूरी भी बहुत अधिक नहीं होनी चाहिए।

पैरंट्स टीचर मीटिंग की परंपरा बहुत अच्छी हैं लेकिन यह सिर्फ वन वे चलती है। पैरंट्स को टीचर बुलाकर उनकी क्लास लेतीं है। सीधा सा अर्थ है केवल शिकायत सुनाना। पैरंट्स यदि कोई सुझाव भी देता है तो उसे स्कूल प्रबंधन का विषय कह कर टाला जाता है। यह सब चलन बंद होना चाहिए।

बड़े-बड़े नामी स्कूल भी सिर्फ नंबर गेम में लगे हैं उन्हें हर हाल में कोर्स पूरा करना है। इससे मतलब नहीं कि बच्चे का कितना विकास हुआ उसे वह पाठ्यक्रम कितना समझ में आया। आज मैथ साइंस और इंग्लिश को हव्वा बना दिया गया। स्कूल बच्चों को ग्राह्य बना उसमें पारंगत करने में ठोस नहीं कर रहे। जो बच्चे थोड़ा तेज उन पर फोकस बाकी बच्चों पर कोई मेहनत नहीं।

स्कूल तो वही जो सभी बच्चों में गुणात्मक सुधार करें और पैरंट्स को बच्चे के कौशल के मुताबिक सलाह दे सकें। यदि बच्चे में खिलाड़ी बनने का कौशल है तो उसका पाठ्यक्रम उसी के अनुकूल होना चाहिए। उसे उसी तरह के संसाधन उपलब्ध कराए जायं।

(लेखक एस अनिल लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं। वे कई बड़े अखबारों में भी वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं।)

यह भी पढ़ें: जिम अकोस्टा से भारतीय एडिटरों को सीखना चाहिए!

यह भी पढ़ें: लोग छतों पर पत्थर, पेट्रोल और तेजाब क्यों जमा करते हैं ?

 

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More