बेजोड़ हैं बनारस के डॉक्टर साहब, क्लिनिक को बना दिया ‘मददघर’
ये कहानी है बनारस के उस डॉक्टर की, जिसने मुश्किल वक्त में अपनी रोजी रोटी की भी परवाह नहीं की। उसने अपने क्लिनिक के दरवाजे गरीबों के लिए खोल दिये।
ये कहानी है बनारस के उस डॉक्टर की, जिसने मुश्किल वक्त में अपनी रोजी रोटी की भी परवाह नहीं की। उसने अपने क्लिनिक के दरवाजे गरीबों के लिए खोल दिये। न सिर्फ इलाज बल्कि गरीबों के लिए भोजन का प्रबंध करना डॉक्टर साहब अपना फर्ज समझते हैं। आलम ये है कि डॉक्टर साहब की मुहिम में उनका पूरा गांव साथ दे रहा है।
गरीबों की मदद कर रहे हैं ‘डॉक्टर साहब’-
आपदा के चलते पूरा देश पिछले एक महीने से लॉकडाउन है। मुश्किल की इस घड़ी में कई ऐसे लोग हैं, जिनके लिए दो जून की रोटी का जुगाड़ करना, पहाड़ सरीखा हो गया है। ऐसे में बनारस के एक डॉक्टर गरीबों के लिए मददगार बने हैं। उन्होंने अपनी क्लीनिक को ‘मददघर’ में तब्दील कर दिया है। ये कहानी है बनारस के फुलवरिया इलाके की। अर्ध शहरी इलाके की अधिकांश आबादी गरीब है।
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लॉकडाउन के चलते कई ऐसे परिवार हैं, जिनके घरों में चूल्हा नहीं जल पा रहा है। मुश्किल की इस घड़ी में ग्रामीणों की मदद कर रहे हैं डॉक्टर वैभव सिंह। पेशे से डेंटिस्ट वैभव सिंह ने अपनी क्लिनिक को मददघर में तब्दील कर दिया है। यहां पर सुबह-शाम गरीब ग्रामीणों के लिए भोजन तैयार होता है। फिलहाल, रोजाना चार सौ लोगों का भोजन इस मदद घर से जा रहा है।
ग्रामीणों का मिलता है साथ-
इस नेक काम में डॉक्टर वैभव को ग्रामीणोंका भरपूर साथ मिल रहा है। डॉक्टर वैभव की प्रेरणा से हर ग्रामीण अपने स्तर से सहयोग कर रहा है। गांव के हलवाई ने खाने को बनाने का जिम्मा संभाला तो पूर्व प्रधान और अन्य ग्रामीणजनों ने आर्थिक सहयोग से अन्न की खरीददारी संभाली। ये मदद का सिलसिला जारी है। रोजाना प्रशासन के सहयोग से यहां से पैकेट दिए जाते हैं और इसके बाद जो इस मदद घर पर आए उसे अनाज दिया जाता है। प्रशासन के अलावा आम जनता की मदद भी जारी है।
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