चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान पत्र (EPIC) को आधार से जोड़ने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. यह कदम मतदाता सूची में गड़बड़ियों को समाप्त करने और फर्जी मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. आयोग ने इस पहल को लागू करने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के साथ मिलकर काम करने की योजना बनाई है.
election Commission की रणनीति
चुनाव आयोग के अनुसार, वर्तमान में 99 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें से 66 करोड़ से अधिक मतदाता पहले ही स्वेच्छा से अपना आधार विवरण आयोग को उपलब्ध करा चुके हैं. अब इसका उद्देश्य शेष 33 करोड़ मतदाताओं का आधार एकत्र करना और इसे पहचान पत्र से जोड़ना है. इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू करने के लिए आयोग, गृह मंत्रालय, विधायी विभाग और UIDAI के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करेगा.
इस निर्णय को अंतिम रूप देने के लिए मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. एस.एस. संधू और डॉ. विवेक जोशी उपस्थित थे. बैठक में पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के कानूनी और तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई.
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मतदाता सूची में सुधार की पहल
आयोग के अनुसार, आधार कार्ड से जुड़ने के बाद मतदाता सूची अधिक प्रमाणिक और पारदर्शी हो जाएगी. यह कदम निम्नलिखित प्रमुख समस्याओं को हल करेगा-
फर्जी मतदाताओं की पहचान होगी – मतदाता सूची में एक ही व्यक्ति का नाम कई स्थानों पर दर्ज होने की समस्या खत्म होगी.
दोहरी प्रविष्टियां समाप्त होंगी – कोई व्यक्ति दो अलग-अलग जगहों से मतदान सूची में पंजीकृत नहीं हो सकेगा.
मतदाता स्थानांतरण में सुविधा – जब कोई व्यक्ति अपने निवास स्थान को बदलता है, तो उसे अपने नए स्थान पर मतदाता सूची में नाम जोड़ने में आसानी होगी.
राजनीतिक दलों की शिकायतों में कमी आएगी – सूची में पारदर्शिता आने से चुनावों में अनियमितताओं को रोकने में मदद मिलेगी.
कानूनी और संवैधानिक पहलू
आयोग ने इस फैसले को लागू करने से पहले लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 326 का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मतदान का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही मिल सकता है. आधार से जोड़ने की प्रक्रिया इस प्रावधान की पुष्टि करने में सहायक होगी.
इसके अतिरिक्त, संविधान की धारा 23(4), (5) और (6) के कानूनी पहलुओं का भी अध्ययन किया गया. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के 2023 के उस फैसले को भी ध्यान में रखा, जिसमें आधार को अनिवार्य नहीं किया गया था. हालांकि, आयोग को उम्मीद है कि मतदाता स्वयं इस पहल में बढ़-चढ़कर भाग लेंगे, क्योंकि इससे उन्हें सीधा लाभ मिलेगा.
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2015 में शुरू हुई थी आधार से लिंकिंग प्रक्रिया
गौरतलब है कि मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने की प्रक्रिया 2015 में ट्रायल के तौर पर शुरू की गई थी. हालांकि, कुछ कानूनी और तकनीकी अड़चनों के कारण इसे व्यापक स्तर पर लागू नहीं किया जा सका. अब, चुनाव आयोग इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है.