Varanasi: इस देश से काशी आ रहे रोपवे परियोजना के कलपुर्जे…

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Varanasi: अगर स्थितियां समान रहीं तो वाराणसी में देश की पहली अर्बन रोपवे परियोजना के पहले भाग का काम (कैंट, विद्यापीठ व रथयात्रा स्टेशन) जून के अंतिम सप्ताह तक पूरा हो जाएगा. परियोजना का काम और पहले करने का प्रयास था, लेकिन पहले भाग के रोपवे के कलपुर्जे लेकर जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह मुंबई आ रहा समुद्री जहाज लाल सागर में तकनीकी समस्या की वजह से डायवर्ट कर दिया गया है. यह कलपुर्जे स्विटजरलैंड से आ रहे हैं. इसमें से कुछ पूर्व में ही काशी आ चुके हैं लेकिन उन्हें पूरे उपकरण आने पर ही स्थावपित किया जा जाएगा. इन्हें 15 अप्रैल तक मुंबई पर पहुंचना था, लेकिन अब इसके 10 मई तक पहुंचने की बात बताई जा रही है.

रोप के सहारे होना है गोंडोला का संचालन

समुद्र में फंसे इन प्रमुख उपकरणों के चलते परियोजना में देरी हो रही है. जानकारी बताते हैं कि करीब 40 मीटर ऊंचे तीन टावरों के पुर्जे और ढाई किमी रोप समेत कई प्रमुख उपकरण आने के बाद ही ट्रायल रन किया जा सकेगा. मोनोकेबल डेटाचेबल गोंडोला का संचालन रोप के सहारे होना है. इसके लिए कैंट और रथयात्रा रोपवे स्टेशन पर दो बुलव्हील (चकरी) लगेंगे, जबकि रोप के मूवमेंट के लिए रथयात्रा स्टेशन पर डायरेक्ट ड्राइव मशीन स्थापित होगी.

दूसरा भाग (रथयात्रा, गिरिजाघर और गोदौलिया स्टेशन) का भी काम जल्द शुरू होगा, ऐसे में जलकल, नगर निगम और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को अपनी संपत्तियां निर्धारित रूट से हटाने के आदेश हुए हैं. रथयात्रा से गोदौलिया तक करीब आधा किलोमीटर रास्ते में बिजली-पानी और सीवर लाइनें चिह्नित की गईं हैं. इन्हें अब शिफ्ट किया जाएगा. वाराणसी विकास प्राधिकरण ने समग्र प्रस्ताव मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा को भेजा है. उधर स्थापित होने वाले रोपवे के आठ टावरों के लिए पाइलिंग शुरू की गई है. हालांकि घोड़ा नाला और शाही नाला को सुरक्षित रखते हुए कार्य करने पर सहमति बनी है, एनएचएलएमएल (नेशनल हाईवे लाजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड) के लिए यह काफी चुनौतीपूर्ण होगा. बुधवार को एनएचएलएमएल के सीईओ प्रकाश गौर निरीक्षण किया और बैठक में निर्देश दिए.

वीडीए बनाएगा डायवर्जन प्लान

रोपवे के दूसरे अनुभाग का क्षेत्र घनी आबादी वाला है. ऐसे में कार्य शुरू करने के लिए जिला प्रशासन ने वीडीए से रूट डायवर्जन प्लान मांगा है. अब तय हुआ है कि गिरिजाघर से गोदौलिया के बीच तीन चरणों में कार्य किए जाएंगे. जिसमें पहला चरण एकल मार्ग रहेगा, यानी एक लेन से कार्य होता रहेगा जबकि दूसरे लेन से ट्रैफिक जारी रखा जाएगा. चरणबद्ध तरीके से इसी पैटर्न पर काम होता रहेगा, इससे जनता को कम तकलीफ होगी.

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करीब 809 करोड़ की लागत से बनने वाले रोपवे का रूट करीब 3.75 किमी का है. इसके लिए पांच रोपवे स्टेतशन और 28 टावर लगेंगे.148 गोंडोला से यात्रा और 6 मीटर प्रति सेकेंड की गति से संचालन किया जायगा. रोपवे सफर के लिए भुगतान की व्यवस्था मेट्रो जैसी होगी. डिजिटल कार्ड और टोकन सिस्टम से पेमेंट सुविधा होगी. अब किराया निर्धारण होने लगा है. कैंट, विद्यापीठ व रथयात्रा स्टेशन तैयार कर लिया गया है. विश्व समुद्र कंपनी हैदराबाद को प्रोजेक्ट पूर्ण करना है. स्टेशन पर यात्रियों को हर तीन मिनट पर गोंडोला मिलेगा.

 

 

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